
एंबुलेंस में तेल नहीं,घंटों पड़ा रहा जिन्दगी व मौत से जूझता रेफर मरीज
लाइव खगड़िया : भले ही जिले के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल शहर के सदर अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किये जाते रहे हो और वक्त-बेवक्त वरीय अधिकारियों की निरीक्षण में अस्पताल की व्यवस्थाएं फिट एंड फाइन नजर आता हो. अस्पताल की बड़ी सी दिखने वाली खूबसूरत बिल्डिंग शीघ्र स्वस्थ होने का सुखद एहसास जगाता हो. लेकिन अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं के बाद भी आपातकाल में जिन्दगी व मौत से जूझ रहे मरीज को शीघ्र सुविधाएं मिलने की जगह 102…104…जैसे शब्द सुनना पड़े तो…क्या कहेंगे आप !!
कुछ ऐसा ही एक मामला जिले के सदर अस्पताल से शनिवार को प्रकाश में आया है. जो अस्पताल की व्यवस्थाओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. दरअसल जिले के अलौली प्रखंड के छिलकौड़ी गांव के राजेन्द्र सिंह को उनके परिजनों ने अचेतावस्था में सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया. जहां चिकित्सकों ने उनकी नाजुक हालत को देखते हुए मरीज को पटना रेफर कर दिया. लेकिन रेफर किये जाने के बाद भी एम्बुलेंस में तेल नहीं रहने के कारण मरीज को घंटों तक इंतजार करना पड़ा. इस बीच मरीज के परिजन सहित लोजपा के जिला प्रवक्ता मनीष कुमार एम्बुलेंस कर्मियों से निजी पैसे से तेल डाल मरीज को पटना पहुंचाने की गुहार लगाते रहे. उधर एम्बुलेंसकर्मी नियमों का हवाला देते हुए अपनी असमर्थता जाहिर कर 102 व 104 पर काल लगाते रहे. इधर रेफर किये जाने के बाद से करीब दो घंटे तक मरीज बेड पर पड़ा रहा और सिस्टम की असमंजताओं को कोसता रहा. खैर, घंटों बाद सिस्टम की नींद खुली और एम्बुलेंस के डीजल के लिए पैसे आये और मरीज को पटना ले जाया गया.
बताया जाता है कि एम्बुलेंस की देखरेख एक एनजीओ के अधीन है. हलांकि यह एक अलग मुद्दा हो सकता है. लेकिन यह भी एक बड़ा सवाल है कि उपलब्ध सुविधाएं वक्त पर जरूरतमंदों के लिए सुलभ हो, इसकी जिम्मेदारी कौन तय करेगा ! निश्चय ही आपातकाल में सिस्टम की यह शिथिलता मरीज के लिए काल भी साबित हो सकता है. उधर मामले से नाराज लोजपा के जिला प्रवक्ता मनीष कुमार ने सदर अस्पताल की कुव्यवस्थाओं को लेकर जल्द ही आंदोलन शुरू करने की बातें कही है.