लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : सच ही कहा गया है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. किसानों के बीच संशाधनों की कमी एक सी आम बात है और कोई इस कमी को जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पूरी कर ले तो वो खास बन जाते है. ऐसे ही कुछ खास में एक नाम जिले के परबत्ता प्रखंड के माधवपुर पंचायत के विष्णुपुर गांव के समृद्ध किसान मनीष कुमार सिंह का भी आता है. जिन्होंने खेतों में खर-पतवार नियंत्रण के लिए साईकिल सहित अन्य चीजों की मदद से स्प्रे मशीन बना डाला है.
बताया जाता है कि साइकिल, सोलर चलित बैट्री एवं उससे चलने वाली मोटर की मदद से इस यंत्र का निर्माण किया गया है. जिससे खेतों में खर-पतवार नियंत्रण के लिए स्प्रे किया जाता हैं. किसान मनीष कुमार सिंह ने बताते हैं कि इस जुगाड टेक्नोलॉजी़ में 16 फीट चौड़ाई से खेतों में स्प्रे किया जा सकता है और इसमें खास बात यह है कि इससे फसल का भी नुकसान नहीं होता है. वहीं वे बताते हैं कि मानव बल द्वारा किया जाने वाला स्प्रे में खेतों के कुछ भाग छूटने की संभावना प्रबल रहती है और शत् प्रतिशत खरपतवार नष्ट नहीं हो पाता हैं. दूसरी तरफ जुगाड़ टेक्नोटॉली से निर्मित यंत्र ना सिर्फ ऐसी संभावना कम हो जाती है बल्कि समय एवं मजदूरी के खर्च का भी बचत होता हैं.
रविवार को माधवपुर दियारा के मकई खेत में जुगाड टेक्नोलॉजी़ नियंत्रण स्प्रे मशीन किसानों को बीच खासा चर्चाओं में रहा है.
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मौके पर किसान मनीष कुमार ने बताया कि खेतों की खरपतवार न केवल किसानों के लिये बल्कि मानव, पशुओं, पर्यावरण एवं जैव-विविधता के लिये एक बड़ा खतरा बनता जा रही है. पहले गाजरघास को केवल अकृषित क्षेत्रों का ही खरपतवार माना जाता था, लेकिन अब यह विभिन्न प्रकार की फसलों, उद्यानों एवं वनों के लिए भी एक समस्या बन गया है. गाजरघास का पौधा तीन चार महीने में अपना जीवन चक्र पूरा कर लेता है तथा 1 वर्ष में इसकी तीन-चार पीढ़ियां पूरी हो जाती हैं. जिसमें कृषि योग भूमि को बंजर बनाने की ताकत है. गाजर घास फसलों के अलावा मनुष्यों और पशुओं के लिए भी किसी समस्या से कम नहीं है. इसके सम्पर्क में आने से एग्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा व नजला जैसी घातक बीमारियों भी हो सकती है. ऐसो में इन खरपतवार से बचाव में जुगाड़ तकनीक का यह स्पे मशीऩ कारगर साबित हो रहा है.