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तुलसी पूजन दिवस सनातन संस्कृति की पहचान : विहिप

लाइव खगड़िया : ’25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है और यह सनातन संस्कृति की पहचान है. तुलसी का पौधा भारतीय संस्कृति से जुड़ा है और इनकी औषधीय व अध्यात्मिक पहचान है. तुलसी का पत्ता छोटी-मोटी शारारिक परेशानियों का हल है. साथ ही सभी शुभ कार्य तथा पूजा-पाठ के शुरुआत और समापन में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल श्रद्धाभाव से होता है. हर घर के आंगन में लगा तुलसी का पौधा शान्ति और स्वस्थ्य रहने का संदेश देता है. लेकिन आधुनिक और पश्चात संस्कृति के गुलामी की मानसिकता से ग्रसित होकर तुलसी के महत्व को भूलया जा रहा है और 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाया जा रहा है.”

यह बातें विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष नितिन कुमार चुन्नु ने शहर के शीतला माता मंदिर प्रांगण में सोमवार को आयोजित तुलसी पूजन दिवस कार्यक्रम के अवसर पर कहीं. वहीं उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में कुछ व्यवसायिक प्रतिष्ठान संचालित करने वाले हिंदू भाई भी थोड़ी सी कमाई के लिए ऐसे सामग्री का विक्रय कर रहे हैं, जो बच्चों के मानसिकता और धार्मिक विचारधारा के खिलाफ है.

इस अवसर पर विहिप के जिलाध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि 25 दिसंबर को बच्चों को संता के रूप में बुलाया जाता है. लेकिन रामनवमी के अवसर पर बच्चों को राम और कृष्णाष्टमी के अवसर पर बच्चों को कृष्ण बन‌ नहीं बुलाया जाता. बच्चे भगवान का रूप होते हैं‌ और उन्हें भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण, भगवान शंकर, भक्त राज हनुमान आदि का भी रूप दिया जा सकता है. जबकि बच्चियों को जानकी, राधा, पार्वती का रूप दिया जा सकता है. वैसे भी बच्चे पारंपरिक परिधान में प्यारे लगते हैं. साथ ही उन्होंने हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए ना सिर्फ संगठन के सदस्यों को बल्कि सभी सनातनी विचारधारा के लोगों को भी आगे आने का आह्वान किया.

मौके पर विहिप के नगर मंत्री मनीष गुप्ता, बजरंग दल के नगर संयोजक अभिमन्यु कुमार, रूबी सिन्हा, नगर संयोजिका नंदनी कुमारी, अंशु, जुली, रूनीष, शनी, सरस्वती, रिया, अनुराग, आकृति, वर्षा, मोनी, ज्योति, राजबली, शिवम्, अनुराग आदि उपस्थित थे.

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