लाइव खगड़िया : राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश व जिले का नाम रोशन करने वाली जिले की हॉकी खिलाड़ी मीनाक्षी अभ्यास के दौरान चोटिल होकर इलाज को तरस रहीं हैं. मीनाक्षी तीन बार राष्ट्रीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिता में भाग ले चुकी है. आंध्रप्रदेश के काकीनाडा में आयोजित जूनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उन्होंने बिहार टीम की उपकप्तानी भी की थी. लेकिन खेल के मैदान में गोलकीपर के तौर पर अपना जलवा दिखाने वाली खिलाड़ी आज खुद अपनी गरीबी के आगे बेबस है. हलांकि वे स्वस्थ होकर दोबारा खेलना चाहती है. लेकिन आर्थिक हालात के आगे उसके सपने टूटने लगे हैं.
खेलो इंडिया नेशनल कैंप के लिए हुआ था चयन
मीनाक्षी का चयन झारखंड के सिमडेगा में आयोजित खेलो इंडिया नेशनल कैंप के लिए भी हुआ था. लेकिन 29 अप्रैल को अभ्यास के दौरान क्लेविकल बोन टूटने से वे चोटिल हो गई और वे कैंप में भाग नहीं ले पाई. साथ ही एक स्वर्णिम अवसर उनके हाथ से निकल गया.
परिवार की आर्थिक हालात नहीं है अच्छी
मीनाक्षी के पिता जिले मानसी में एक सैलून में काम करते हैं. जिससे बड़ी मुश्किल से आठ सदस्यों वाले परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो पाता है. लेकिन एक हादसे ने इस परिवार की चिंता को और भी बढ़ा दी है. फिलहाल उनका परिवार किसी तरह से रूपयों का इंतजाम कर मीनाक्षी का इलाज बेगूसराय के एक चिकित्सक से करा रहे हैं. लेकिन बताया जाता है कि ऑपरेशन ही विकल्प है. जिसके लिए उन्हें 30-40 हजार खर्च करना होगा. लेकिन प्रारंभिक तौर पर किये जा रहे इलाज में 10 हजार का खर्च ही इस परिवार का आर्थिक रुप से कमर तोड़ गया है. ऐसे में जिले की एक प्रतिभा के जीवन में परिवार का मौजूदा हालात उसके इलाज व खेल के बीच दीवार बन गया है.
मीनाक्षी को है किसी मसीहे का इंतजार
हलांकि मीनाक्षी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए माह भर पूर्व ही मीडिया के माध्यम से इलाज में मदद की गुहार लगा चुकी है और सच्चाई यह है कि उनकी गुहार पर अबतक सिर्फ शहर के युवा व्यवसायी नवीन गोयनका ने ही हाथ बढ़ाया है. लेकिन मीनाक्षी को इलाज के लिए बड़ी रकम की दरकार है. अब देखना दीगर होगा कि प्रशासन, खेल विभाग व प्रतिभा का सम्मान करने वाले इस होनहार खिलाड़ी के भविष्य की रक्षा करने में कितने मददगार साबित होते हैं या फिर कोई अन्य मसीहा बनकर सामने आता है.