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बहुत आसान नहीं लोजपा के किले को भेदना, अतीत के आंकड़े बहुत कुछ बता रहा

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार मनीष) : जैसे – जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रहा वैसे – वैसे खगड़िया संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक तपिश बढ़ती जा रही है. उल्लेखनीय है कि खगड़िया के लाल दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा का यह क्षेत्र गढ़ रहा है और 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में लोजपा उम्मीदवार लगातार दो जीत दर्ज कर चुके हैं. फिलहाल पार्टी की कमान दिवंगत रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के हाथ में है और उन्होंने राजेश वर्मा को पार्टी के लिए जीत का हैट्रिक लगाने का मौका दिया है.

बात यदि चुनावी मुकाबले की करें तो खगड़िया में लोजपा (रा) उम्मीदवार राजेश वर्मा एवं इंडिया गठबंधन समर्थित सीपीआईएम उम्मीदवार संजय कुशवाहा के बीच सीधी टक्कर है. विगत के दो चुनावों के आंकड़ों पर यदि नजर डालें तो चुनावी बयार पीएम मोदी की ही रही और स्थानीय मुद्दे गौण रहा था. शायद यही कारण रहा था कि 2019 के चुनाव में उस वक्त के एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे. हलांकि सांसद के तौर पर उनके प्रथम कार्यकाल की कार्यशैली को लेकर लोगों के बीच आक्रोश था. बावजूद इसके मोदी लहर में उन्हें जीत मिली थी. दूसरी तरफ महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी कृष्णा कुमारी यादव को 2014 में एवं महागठबंधन समर्थित वीआईपी उम्मीदवार  मुकेश सहनी को 2019 में हार का सामना करना पड़ा था. गौरतलब है विगत के दोनों ही चुनावों में लोजपा प्रत्याशी से हार का सामना करने वाले महागठबंधन के दोनों ही उम्मीदवारों की गिनती राजनीतिक दिग्गज के रूप में होती है. लेकिन मोदी लहर में वो फीका साबित हुआ. अतीत के आंकड़े 2024 के चुनाव में एनडीए समर्थित लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा के लिए सुकून देने वाला है और इस बार के चुनाव में भी यदि मोदी फैक्टर चल गया तो विपक्ष के लिए लोजपा के किले को भेदना आसान नहीं होगा. वैसे भी इंडिया गठबंधन ने पीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है. जो राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में दोनों ही प्रमुख गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच एक बड़ा फासला बना जाता है.

दूसरी तरफ चुनावी मौसम में विपक्ष  एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी की कवायद में है. मामला लव-कुश समीकरण को लेकर है और विपक्ष की  तरफ से  हवा बनाने की लगातार कोशिश हो रही है. लेकिन यहां यह भी देखना दीगर होगा कि सीएम नीतीश कुमार की  समता पार्टी इसी समीकरण के बल पर अस्तित्व में आया था. दूसरी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की राजनीतिक कर्मभूमि खगड़िया ही रहा है और इस समाज के लोगों के बीच उनकी अपनी पैठ है. लव-कुश समाज के दो दिग्गजों का हाथ एनडीए समर्थित लोजपा(रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा के सिर पर है. ऐसे में विपक्ष द्वारा लव-कुश समीकरण को ध्वस्त करना बहुत आसान नहीं दिख रहा.

दूसरी तरफ वक्त के साथ एनडीए के घटक दल‌ के नेताओं के बीच के अंतर्कलह की खाई भी अब पटने लगी है. तमाम चर्चाओं को धत्ता बताते हुए मंगलवार को परबत्ता में स्थानीय जदयू विधायक डाक्टर संजीव कुमार ने एनडीए समर्थित लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा के पक्ष में उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, पूर्व उपमुख्यमंत्री  तारकिशोर प्रसाद,  विधायक राजू कुमार सिंह और ऋतुराज सिन्हा के साथ रोड शो में भाग लिया. दूसरी तरफ स्थानीय राजनीति से इतर एक बार फिर मोदी फैक्टर भी लोजपा (रा) उम्मीदवार राजेश वर्मा के लिए तुरूप का पत्ता साबित हो जाये तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. बहरहाल ये सारी बातें समय के गर्भ में है और देखना दीगर होगा कि मतदाताओं का रूझान किस गठबंधन के पक्ष में होता है.

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