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विरोध व अंतर्कलह के तेज आंधियों में बुझ न जाए LJPR का ‘चिराग’ !

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार मनीष) : लोकसभा चुनाव में  2014 एवं 2019 में भले ही खगड़िया में लोजपा का चिराग जल उठा था और एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी को जीत मिली थी. लेकिन 2024 में नज़ारा अलग है और एनडीए समर्थित लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा को एनडीए के घटक दल के नेताओं का ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी तरफ लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान द्वारा स्थानीय उम्मीदवार को तरजीह नहीं देकर भागलपुर के राजेश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारने के बाद एनडीए के कोर वोटर के बीच भी वो उत्साह नहीं है, जो कि विगत चुनाव के वक्त देखा जाता रहा था. भले ही लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा मीडिया व अन्य माध्यमों से आपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी राह में एनडीए के ही नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कांटे बिछाने में लगे हैं. जिसे पार कर राजेश वर्मा को जीत की मंजिल तक पहुंच पाना आसान नहीं दिख रहा.

दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने विभिन्न सीटों पर अपना उम्मीदवार देकर जदयू को नुक़सान पहुंचाया था. जिसका प्रभाव खगड़िया व परबत्ता विधानसभा सभा में भी देखने को मिला था. स्थिति यह बन आई थी कि खगड़िया से जदयू उम्मीदवार पूनम देवी यादव को हार का सामना करना पड़ा था. उधर परबत्ता विधानसभा सीट पर जदयू के उम्मीदवार डाक्टर संजीव कुमार को भले ही जीत मिल गई थी. लेकिन जीत का अंतर वो नहीं रहा था, जिसकी एनडीए के नेता अपेक्षा कर रहे  थे. अब बदले राजनीतिक हालात में भले ही लोजपा, भाजपा एवं जदयू एक मंच पर हो, लेकिन स्थानीय जदयू नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच उस चुनाव की कसक आज भी है. स्थिति यह है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसले के बाद स्थानीय एनडीए नेताओं ने भी भले ही हाथ से हाथ मिला लिया हो, लेकिन उनका  दिल अभी भी  नहीं मिला है. जो कि लोजपा (रा) प्रत्याशी को भारी पड़ सकता है.

तमाम चर्चाओं के बीच जदयू नेता अशोक सिंह खुलकर इंडिया गठबंधन समर्थित उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार अभियान में जुड़ गए है. दूसरी तरफ पूर्व जदयू के पूर्व विधायक पूनम देवी यादव भी चुनावी अभियान में नजर नहीं आ रहीं हैं. जबकि उनके समर्थक तो खुलकर लोजपा (रा) प्रत्याशी के विरोध में स्वर मुखर कर रहे है. कुछ ऐसी ही स्थिति जदयू के परबत्ता विधायक डाक्टर संजीव कुमार की भी है और उनके समर्थक भी परोक्ष रूप से लोजपा (रा) प्रत्याशी का विरोध कर रहे है.. जबकि जदयू विधायक के भाई सह कांग्रेस के एमएलसी राजीव कुमार इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने मैदान में उतर गए हैं. उधर लोजपा के निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली केसर राजद में शामिल होकर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में हवा बनाने में लग चुके हैं. दूसरी तरफ राजनीतिक जानकारों की मानें तो एनडीए समर्थित लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा अपनी कमजोर कड़ी को परख ही नहीं पा रहे और एनडीए के चंद नेताओं के सहयोग से एक बड़ा जंग जीतने का ख्वाब सजाए बैठे हैं. कहना अनुचित नहीं होगा कि एनडीए के घटक दल के कार्यकर्ता ही इस चुनाव में एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं और न ही ऐसा करने की एक सार्थक पहल ही की जा रही है.. जबकि इंडिया गठबंधन के घटक दल न सिर्फ एकजुट होकर चुनावी प्रचार अभियान में लगे हैं, बल्कि हर नेता अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए नजर आ रहे हैं. दूसरी तरफ क्षेत्र में स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी गर्म है. कहीं न कहीं भाजपा व जदयू की नजर भी आगे के चुनाव के लिए इस सीट पर है. गौरतलब है कि लगातार दो जीत के बाद खगड़िया संसदीय सीट लोजपा की परंपरागत बन गई है और इस चुनाव में लोजपा (रा) का प्रदर्शन उनका भविष्य तय कर सकता है. ऐसे में एनडीए समर्थित लोजपा (रा) उम्मीदवार के लिए यह चुनावी सफर बहुत आसान नहीं दिख रहा और यदि इस बार खगड़िया में लोजपा (रा) का चिराग बुझ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए !

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