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दूसरों की निंदा करने के बजाय अपने कर्म व धर्म पर रखें ध्यान : जयंती किशोरी

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड मुख्यालय के एम डी कॉलेज मैदान में आयोजित रूद्र चंडी महायज्ञ के दौरान शुक्रवार को मुख्य कथा वाचिका जयंती किशोरी ने कहा कि गुरुवार शाम को आई आंधी- तूफान तथा बारिश के बाद परबत्ता गांव के लोगों ने भगवान की शक्ति से रातभर में फिर से गिरे हुए पंडाल को खड़ा करने जैसा असंभव काम कर दिया. यह उनकी आस्था और एकता को प्रदर्शित करता है. भगवान की कथा को सुनने के लिये कुछ भी कर गुजरने की यह कोशिश व्यर्थ नहीं जायेगी. जब जीव इस संसार में आता है तो माया-मोह में सब चीजों को भूल जाता है. इस माया में भगवान को भी भूल जाते हैं और माया के चक्कर में भगवान से नजर मिलाने के लायक तक नहीं रहते हैं. ऐसे में अंतिम समय में रोने और पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता है. जीवन में जो दाग लग जाते हैं उसको भगवान की भक्ति तथा सेवा के द्वारा ही धोया जा सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि बीते समय को याद कर पछताने की जगह आज से भगवान व भागवत का भजन आरंभ करें. भगवान के भजन में ही मानव जीवन की साथर्कता है और भगवान के भजन के लिये कोई समय निश्चित नहीं है. अपने जीवन के उद्यम को करते हुए भी भगवान को याद करते रहना चाहिए.

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दूसरों की चिंता और निंदा करने की बजाय अपने कर्म और धर्म पर ध्यान रखें. बिहार के लोगों में भगवान के प्रति विशेष आस्था देखी जाती है और यहां के लोगों के कारण ही भक्ति की शक्ति बची हुई है. कहते हैं कि “जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन”. इसलिये भोजन के निर्माण के दौरान माताएं भगवान का नाम लेते हुए उसे पकाएं और इसके साथ-साथ घर के सदस्यों को भोजन परोसते समय भी वैसी बातों की चर्चा नहीं करें, जिससे भोजन में अरुचि पैदा हो.

उल्लेखनीय है कि गुरुवार की शाम को आई आंधी-तूफान व तेज बारिश ने काय्यक्रम स्थल के पंडाल को अस्त-व्यस्त कर दिया था. तूफान के दौरान वहां दर्जनों लोग फंस गये थे. जिन्हें यज्ञ समिति के स्वयंसेवकों ने सुरक्षित बाहर निकाला. वहीं आंधी और बारिश से बिजली की व्यवस्था भी छिन्न-भिन्न हो गई. पंडाल में फंसे श्रवण साह घायल हो गये. जिन्हें बाद में स्वयंसेवकों ने निकालकर अस्पताल पहुंचाया. बताया जाता है कि मुख्य प्रवचनकर्ता जयंती किशोरी का प्रवचन आरंभ होने के कुछ देर बाद ही आंधी आ गई और तूफान ने किसी को संभलने तक का मौका नहीं दिया. लेकिन तूफान के थमते ही यज्ञ के आयोजकों ने पंडाल तथा विद्युत कर्मी को तलाशना शुरु किया तो पता चला कि सभी कर्मी लोगों के आक्रोश के डर से भाग चुके हैं. जिसके बाद परबत्ता के लोगों ने रातभर में गिरे हुए विशाल पंडाल को खोलकर अलग किया तथा सुबह होते ही उसे फिर से बनाना आरंभ किया. शुक्रवार को मुख्य कथा वाचिका के प्रवचन के लिये निर्धारित समय तक एक बार फिर से पंडाल तैयार था. इस कार्य में गा़ंव के हर जाति व धर्म के लोगों ने समान रुप से सहयोग दिया. रातभर चले इस अभियान में तीन सौ से अधिक लोगों ने लगातार काम करते हुए एक असंभव कार्य को अंजाम तक पहुंचा दिया.

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