लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : संभव है कि इस खबर के बाद आस्था और अंधविश्वास पर बहस तेज हो जाये. बहरहाल खबर यह है कि जिले से भक्ति की एक अनोखी तस्वीर सामने आई है, जहां लोग मनोकामना पूरी करने के लिए खुले पैर से आग पर चलते हैं. लोगों का मानना है कि तपती आग पर चलने से पैर भी नहीं जलता है. जिले के परबत्ता प्रखंड के जोरावरपुर पंचायत के वार्ड नंबर 13 राजपूत टोला नयागांव में चार दिवसीय दिवसीय झील पूजा के दौरान सोमवार को अहले सुबह आग पर चलने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं का कहना है कि झील पूजा अति प्राचीन परंपरा है और पूजा के दौरान नंगे पांव आग पर चल प्रसाद ग्रहण करने से मनोकामना पूरी होती है.
मौके पर ग्रामीणों ने बताया कि बाबा शैलेश, बाबा मोती राम, ठाकुर बाबा, साबल बाबा उनके कुल देवता हैं और उनका मनौन किया गया. वहीं भगत के तौर पर धनराज राज भगत उपस्थित थे. झील पूजा के दौरान श्रद्धालु बांस से बने झील के ऊपर चढ़ते हुए आग पर चलने की प्रक्रिया पूरी किया. वहीं मनोकामना पूर्ण होने के लिए पूजा की गई और श्रद्धालुओं ने प्रसाद प्राप्त किया.
झील पूजा आयोजन खुले आसमान के नीचे किया गया. ग्रामीणों की मानें तो झील पूजा का शुरुआत अयोध्या के राजा दशरथ ने किया था. मान्यता है कि पूजा का प्रसाद (खीर) खाने के बाद ही उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे पुत्र धन की प्राप्ति हुई थी. वहीं कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि सच्चे मन से पूजा करने वालों का आग पर चलने से पैर नहीं जलते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मौके पर जोरावरपुर पंचायत के सरपंच पंकज साह, गगन कुमार, बंटी कुमार, सुभाष कुमार, संतोष कुमार, हरेराम पासवान, बिक्रम कुमार, अमित कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे. बताया जाता है कि एक दशक पूर्व भी नयागांव राजपूत टोला में झील पूजन का आयोजन एक बार किया गया था.