लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : लोजपा की आंतरिक कलह के बीच पार्टी के स्थानीय सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने चिराग पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस को लोजपा संसदीय दल का नेता चुने जाने मामले पर कहा है कि बहुत तरह की बातें थी, जिसको लेकर यह फैसला लिया गया है. साथ ही उन्होंने भविष्य में जदयू में शामिल होने के कयासों को भी सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पशुपति पारस पार्टी के सिनियर व अनुभवी नेता हैं और उनको नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं था. उन्होंने कहा है कि पार्टी का जनाधार बिहार में अधिक है और ऐसे में बिहार की राजनीति के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है.
साथ ही उन्होंने कहा कि विगत विधानसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए गठबंधन के एक घटक दल के उम्मीदवार के खिलाफ लोजपा का उम्मीदवार देना और गठबंधन के उम्मीदवार का विरोध करना ठीक नहीं था. गौरतलब है कि लोजपा संसदीय दल के नेता का चुनाव के लिए हुई बैठक में चौधरी महबूब अली कैसर को संसदीय दल का उपनेता चुना गया है.
उल्लेखनीय है कि लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी की कमान उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ आ गई थी. लेकिन उनके नेतृत्व क्षमता पर उस वक्त सवाल खड़ा हो गया, जब उनके चाचा पशुपति कुमार पारस, चचेरे भाई प्रिंस राज सहित चंदन सिंह, वीणा देवी, चौधरी महबूब अली कैसर ने बगावत कर दी. इसके पूर्व बिहार विधानसभा चुनाव में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एलजेपी महज एक सीट जीत पाई थी. लेकिन मटिहानी के अपने विधायक रामकुमार शर्मा को भी चिराग पासवान सहेज नहीं पाये और वे जेडीयू में शामिल हो गए.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी के सांसदों की चिराग से नाराजगी की वजह पार्टी में लिया जा रहा है उनका एकतरफा फैसला रहा है. कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त ही चिराग पासवान के रुख से पार्टी के कई बड़े नेता और सांसद नाराज थे. बाद में विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली हार ने रही सही कसर भी पूरी कर दी.