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उफ्फ…ये चुनाव ! समाज पुलिसकर्मियों से ऐसी अपेक्षा नहीं रखती

लाइव खगड़िया : देश की हो या प्रदेश की…नगर की हो या पंचायत की…जब कभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुनाव की नौबत आती है तो शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर पुलिस के जवानों के कंधे पर ही होती है और पुलिसकर्मी अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते भी रहे हैं.लेकिन बात जब अपने एसोसिएशन के चुनाव की आई तो जिले के कुछ पुलिसकर्मियों की अनुशासन ही तार-तार हो गया.मामला बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के सभापति सहित सात पदों के लिए जिले में मंगलवार के दिन में हुए मतदान के उपरांत मंगलवार की देर रात मतगणना के दौरान का था.मिली जानकारी के अनुसार मतगणना के दौरान ही दो प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ एक-दूसरे से उलझ गये.आरोप-प्रत्यारोप से शुरू हुई विवाद हंगामे तक पहुंच गई.साथ ही मतपेटी गायब करने व बैलेट पेपर फाड़ने की कोशिश जैसी स्थितियां की भी चर्चाएं हैं.मामले की सूचना पर पुलिस अधीक्षक मीनू कुमारी को खुद मतगणना स्थल पर पहुंचना पड़ा.मौके पर एसपी द्वारा चुनाव पर्यवेक्षकों सहित दोनों पक्षों से मामले की जानकारी ली गई.हंगामे के बाद प्रतिनियुक्त मुख्य चुनाव पदाधिकारी को तत्काल मतगणना स्थगित करना पड़ा.सूत्रों की यदि मानें तो मतगणना के दौरान कराए गये वीडियोग्राफी के आधार पर जांच का आदेश दे दिया गया है.साथ ही चुनाव पदाधिकारी ने चुनाव रद्द करने की अनुशंसा भी कर दी है.जो स्थियां उभर कर सामने आई है उससे ऐसी संभावनाएं व्यक्त की जाने लगी है कि चुनाव भी रद्द हो सकता है.संभव है अनुशासनहीनता प्रमाणित होने पर दोषी पाये जाने वाले चंद पुलिसकर्मियों पर अनुशासनिक कार्रवाई भी हो जाये.लेकिन हर छोटे-बड़े चुनाव में आमजनों को अनुशासन व शांति का संदेश देते हुए कानून का पाठ पढाने वाले पुलिसकर्मियों से एक स्वस्थ समाज कतई ऐसी अपेक्षा नहीं रखती.

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