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कोरोना संकट : नन्ही परी कर रही गीता श्लोकों के माध्यम से जगत कल्याण की कामना



लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : महर्षि व्यास के अनुसार, परम चेतना को उभारने वाली विद्या का नाम अध्यात्म है. जबकि प्रकृति तथा पदार्थ में छिपी शक्तियों की जानकारी प्राप्त करना ही विज्ञान का लक्ष्य है. जीवन आत्मिक और भौतिक दोनों तत्वों से मिलकर बना है, इसलिए विज्ञान व अध्यात्म अलग-अलग होते हुए भी पूरक है. कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के इस दौर में जहां सारा विश्व वैज्ञानिक तरीके से इस बीमारी से निपटने में लगा है. वहीं जिले की एक नन्हीं परी गीता के श्लोकों के माध्यम से भारत सहित विश्व के कल्याण की कामना कर रही है. 


जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत सौढ़ उत्तरी पंचायत के कोरचक्का निवासी राजेश कुमार व दुर्गा रानी की 6 वर्षीय पुत्री शाम्भवी सिंह श्रीमद् भागवत गीता के श्लोकों को टपाटप पढ़ लेती है. साथ ही उन्हें गीता के 16वें अध्याय का 23 श्लोक याद है और इन्हीं श्लोकों को माध्यम से वो ना सिर्फ विश्व शांति की प्रार्थना कर रही हैं बल्कि विपदा की इस घड़ी में लोगों से लॉकडाउन का पालन करने का संदेश भी दे रही हैं.

वैसे तो शाम्भवी अपने परिवार के साथ रांची में रहती हैं. लेकिन उनका जिला स्थित अपने गांव कोरचक्का आना-जाना लगा रहता है. शाम्भवी रांची के आचार्यकुलम नामकुम विद्यालय के कक्षा प्रथम की छात्रा है. उनके पिता राजेश कुमार भारतीय थल सेना में कार्यरत है. उनके नाना हजारी प्रसाद सिंह भी सूबेदार मेजर के पद से  सेवानिवृत्त हुए है. जबकि उनके बाबा रामवरण सिंह भी सेवानिवृत्त सूबेदार हैं. 


बहरहाल 6 वर्षीय शाम्भवी की अद्भुत प्रतिभा लोगों को अचंभित कर देता है. उधर ग्रामीण थल सेना से सेवानिवृत्त हवलदार संजय सिंह, अनुपलाल सिंह, बालदेव सिंह, उपेन्द्र साह, सोगारथ सिंह आदि शाम्भवी की प्रतिभा पर गर्व महसूस करते हुए बताते हैं कि नन्ही परी की सोच और प्रतिभा जिले को गौरवान्वित कर गया है.

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