खगड़िया : चर्चाओं के बाजार में एनडीए के कैसर की उम्मीदों का चढ़ा भाव
लाइव खगड़िया : लोकसभा चुनाव में खगड़िया संसदीय सीट पर मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो गई है और अब विभिन्न दलों के नेताओं व उनके समर्थकों के द्वारा चुनाव परिणाम व वोटों के नफा-नुकसान का आंकलन तेज हो गया है.साथ ही संभावित चुनाव परिणाम को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है.दूसरी तरफ महागठबंधन व एनडीए के नेताओं के द्वारा अपने-अपने गठबंधन के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित बताई जा रही है.लेकिन चुनावी चर्चा, वोटिंग का ट्रेंड एवं राजनीतिक समीक्षकों के आंकलन पर संयुक्तरूप से नजर डाली जाये तो एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर और महागठबंधन समर्थित वीआईपी के उम्मीदवार मुकेश सहनी के बीच के कांटे की टक्कर में एनडीए प्रत्याशी के आगे निकलने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं.जबकि अंतिम वक्त तक मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कवायद में जुटे निर्दलीय प्रत्याशी चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र सिंह त्यागी रेस से बाहर होते हुए नजर आ रहे हैं.हलांकि गठबंधन की राजनीति के दौर में एक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उनका मैदान में आखिरी वक्त तक डटे रहना उनके जज्बे व जुनून की जीत माना जा सकता है.
चर्चाओं पर यदि विश्वास करें तो लोजपा प्रत्याशी महबूब अली कैसर अपने समुदाय के वोट बैंक में सेंधमारी करते हुए राजद के समीकरण को एक बार फिर बिगाड़ने में कामयाब रहे हैं.जबकि पूर्व विधायक रणवीर यादव फैक्टर व राजद की पूर्व लोकसभा प्रत्याशी कृष्णा कुमारी यादव का पार्टी से निष्कासन भी महागठबंधन को नुकसान पहुंचाता हुआ नजर आ रहा है.जबकि भाजपा के सम्राट चौधरी का जादू भी एनडीए प्रत्याशी को चुनाव में विशेष तौर पर खगड़िया व परबत्ता विधान सभा क्षेत्रों में संबल प्रदान कर गया है. हलांकि महागठबंधन के घटक दल रालोसपा का वोट बैंक माना जाने वाला एक खास समुदाय के वोट में निर्दलीय प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह त्यागी भी सेंधमारी कर गये हैं.बावजूद इसके इस समुदाय का एनडीए को मिला मत एक बोनस के रूप में देखा जा सकता है.
बात यदि खगड़िया संसदीय क्षेत्र के सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र की करें तो स्थानीय राजनीति के दो ध्रुव माने जाने वाले जदयू के दिनेश चन्द्र यादव एवं वर्तमान एनडीए प्रत्याशी महबूब अली कैसर का एक मंच पर आना इस विधानसभा क्षेत्र में एनडीए को एक बड़ी बढ़त देता हुआ प्रतित हो रहा है.कहा तो यहां तक जा रहा है कि यहां ‘माय’ समीकरण ही पूरी तौर पर ध्वस्त हो गया है.जबकि बेलदौर विधान सभा क्षेत्र में महागठबंधन के रालोसपा के वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा एनडीए में सिफ्ट होना भी महागठबंधन प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ा सकता है.जबकि एनडीए के वोट बैंक की गोलबंदी चौधरी महबूब अली कैसर को इस विधानसभा क्षेत्र में भी बढ़त दिला सकता है.जिले के परबत्ता विधान सभा क्षेत्र में जदयू के कुछ स्थानीय नेताओं का भितरघात एनडीए प्रत्याशी को थोड़ा नुकसान पहुंचा गया है.लेकिन अंतिम वक्त में एनडीए के वोट बैंक की गोलबंदी व यहां के पूर्व विधायक सम्राट चौधरी की कवायद एनडीए को राहत पहुंचा गया है और कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र से भी कम अंतर से ही सही एनडीए प्रत्याशी आगे निकल सकते है.हलांकि मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है.
खगड़िया विधान सभा क्षेत्र में एनडीए के वोट बैंक की गोलबंदी और महागठबंधन के वोट बैंक में बिखड़ाव के बीच एनडीए प्रत्याशी को लाभ मिलने की संभावना जताई जा रही है.जबकि अलौली (सु.) विधान सभा क्षेत्र में नेक टू नेक की टक्कर में ऊंट किस तरफ बैठता है.यह देखना दीगर होगा. लेकिन चर्चाएं है कि वहां भी महागठबंधन के वोट बैंक में बिखड़ाव हुआ है.बावजूद इसके इस क्षेत्र में महागठबंधन को कमतर नहीं आंका जा सकता है.वहीं हसनपुर विधान सभा क्षेत्र में महागठबंधन प्रत्याशी को थोड़ी राहत मिलने की चर्चाएं हैं और बताया जाता है कि यहां से महागठबंधन को बढ़त मिल सकती है.लेकिन यहां भी मुकाबला जबरदस्त बताया जाता है.बहरहाल यह सभी महज चर्चाओं के बाजार का आंकलन व संभावनाएं है.नदियों के नैहर में मुकेश सहनी के नैया को किनारा मिलता है या फिर महबूब अली कैसर का झोपड़ी रौशन होता है,यह तो 23 मई के मतगणना के बाद ही सामने आयेगा. लेकिन इतना तो माना ही जा सकता है कि बेहद ही नजदीकी मुकाबले में परिणाम किसी भी तरफ जा सकता है.लेकिन संभावनाएं एनडीए का थोड़ा अधिक बनता हुआ प्रतित हो रहा है और चुनावी चर्चाओं के बाजार में कैसर के उम्मीदों का भाव चढ़ चला है.