Breaking News

6 अप्रैल से शुरू होगी चैत्री नवरात्रि,बन रहा अद्भुत संयोग,14 को रामनवमी




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : “इस वर्ष 6 अप्रैल से चैती नवरात्रा प्रारंभ हो रहा है.जबकि 14 को रामनवमी है.14 अप्रैल को एक साथ कई संयोग बन रहा है.चैत्र शुक्ल की सुर्य उदय नवमी तिथि तथा पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्थ चरण एवं कर्क लग्न में  सुर्यवंशम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था.साथ ही मेष संक्राति (सतुआनी, बैशाखी पर्व ) भी उसी दिन है.14 अप्रैल को ही अधिकांश श्रद्धालु एवं साधु-संत रामनवमी मनाएगें”.

स्वामी आगमानंद जी महाराज

उक्त बातें श्री शिव शक्ति योग पीठ नवगछिया के पीठीधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी ने कही है.उन्होने बताया कि देवी भागवत पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्र होते हैं.जिसमें दो गुप्त, तीसरा शारदीय और चौथा चैत्र नवरात्र है.अमूमन लोग गुप्त नवरात्र के बारे में कम ही जानते हैं. साल में दो बार होने वाले शारदीय और चैत्र नवरात्र के बारे में ज्यादातर लोगों की जानकारी होती है. चारों नवरात्र का मकसद और मान्यताएं अलग-अलग हैं.पुराणों में चैत्र नवरात्र को आत्मशुद्धि और मुक्ति का आधार माना गया है. वहीं शारदीय नवरात्र को वैभव और भोग प्रदान करने वाला माना गया है.चैत्र नवरात्र यानी इन नौ दिन में जातक उपवास रखकर अपनी भौतिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूरा करने की कामना किया जाता है. इन दिनों में ईश्वरीय शक्ति उपासक के साथ होती है और उसकी इच्छाओं को पूरा करने में सहायक होती है.चैत नवरात्रि का कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल  सूर्योदय के बाद से दोपहर तक है.

06 अप्रैल ( शनिवार )  : घट स्थापन एवं  माँ शैलपुत्री पूजा

07 अप्रैल  ( रविवार ) : माँ ब्रह्मचारिणी

08 अप्रैल  ( सोमवार ) : माँ चंद्रघंटा पूजा

09 अप्रैल  ( मंगलवार ) : माँ कुष्मांडा पूजा

10 अप्रैल (बुधवार. ) :  माँ स्कंदमाता पूजा

11 अप्रैल  ( गुरूवार. ) : माँ कात्यायनी पूजा

12 अप्रैल  (शुक्रवार ) :  माँ कालरात्रि पूजा

13 अप्रैल ( शनिवार  ) : महागौरी एवं सिद्धिदात्री,  पूजा अष्टमी व्रत,

14 अप्रैल (रविवार  ) : विजयादशमी




घट स्थापना मुहूर्त

इस साल 6 अप्रैल शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहा है. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा.

घट स्थापना की सामग्री

– जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।

– जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।

– पात्र में बोने के लिए जौ

– घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )

– कलश में भरने के लिए शुद्ध जल

– गंगाजल या फिर अन्य साफ जल

– रोली , मौली

– इत्र

– पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी

– दूर्वा

– कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )

– पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )

– पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )

– कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )

– ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल

– नारियल

– लाल कपडा

– फूल माला

– फल तथा मिठाई

– दीपक , धूप , अगरबत्ती

घट स्थापना की विधि

सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे.यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है. इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें.मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए.पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें.फिर एक परत मिटटी की बिछा दें. एक बार फिर जौ डालें.फिर से मिट्टी की परत बिछाएं. अब इस पर जल का छिड़काव करें.

कलश ऐसे तैयार करें

कलश पर स्वस्तिक बनायें. कलश के गले में मौली बांधें.अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें.कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें.कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें.अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें.कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ.चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें. इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें.नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें. इस नारियल को कलश पर रखें.ध्यान रहे कि नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए.


Check Also

खरना पूजन के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का उपवास शुरू

खरना पूजन के साथ छठ व्रतियों का 36 घंटे का उपवास शुरू

error: Content is protected !!