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नीरपुर का यह पीपल पेड़ है बेहद खास,संपन्न हुई आज विशेष पूजा




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत नीरपुर पंचायत के नीरपुर गांव का एक पीपल का पेड़ श्रद्धालुओं के लिए बेहद ही खास है.मान्यता है कि माता जगदम्बा विल्वेश्वरी इसी पीपल पेड़ में समाहित है.साथ ही बताया जाता है कि माता जगदम्बा भक्तो को यहां मंदिर निर्माण की इजाजत नही देती है और माता श्रद्धालुओं की मुरादें पूर्ण करती है.

कहा जाता है कि सदियों से यहां छठ पूजा के बाद अष्टमी के दिन विशेष पुजन का आयोजन होता आ रहा है.इसी क्रम में गुरुवार को  विशेष पूजन का आयोजन किया गया.जिसमें आधा दर्जन से अधिक पंडितो के द्वारा  दुर्गा सप्तशी का पाठ एवं जाप व हवन किया गया.साथ ही महिलाओ ने भी रामायण पाठ किया.

जिसके उपरांत कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाया गया.स्थानीय लोगों की यदि मानें तो माता के आशीर्वाद से दर्जनो लोग नौकरी प्राप्त कर चुके हैं और माता जगदम्बा की महिमा अगम अपार है.



माता जगदम्बा विल्वेश्वरी स्थान का इतिहास 

नीरपुर निवासी अर्जुन पाठक, साहब पाठक, हीरा पाठक,किशोर पाठक,चंदन पाठक,मदन पाठक,शशि कांत पाठक,नवीन पाठक,रंजन पाठक,पवन पाठक ,शोभाकांत पाठक आदि बताते हैं कि उनके पूर्वज फैयदा मुंगेर के मूल रूप से निवासी थे.पूर्वज गोंविद राम पाठक  को माता जगदम्बा ने स्वप्न दिया था कि नीरपुर स्थित कोसी की धार  में एक बेल का वृक्ष है वहां जाकर मेरी अराधना करो.ऐसे में स्वर्गीय गोंविद राम पाठक अपने दोनों पुत्र स्व.लाला पाठक ओर मित्तन पाठक के साथ यहां आए.बताया जाता है कि लाल पाठक अनपढ थे लेकिन उस बेल के वृक्ष में माथा टेकते ही उन्हें अद्भूत ज्ञान प्राप्ति का एहसास हुआ और फिर तो वे माता की सेवा में ही अपने आप को समर्पित कर दिया.साथ ही वे क्षेत्र में एक विद्वान पंडित के रूप में मशहूर हो गए.वक्त के साथ उनका परिवार भी नीरपुर गांव में ही आकर बस गये.जिनके वंशज एक बड़े परिवार के रूप में आज भी गांव में मौजूद  हैं और माता जगदम्बा विल्वेश्वरी की आराधना करते आ रहे हैं.बताया जाता है कि इलाके के एक संत ने बेल के पेड़ पर ही समाधी ले लिया था.कुछ दिनों के बाद उस विशाल बेल के पेड़ को किसी अन्य के हाथों बेच दिया गया.कहा जाता है कि पेड़ क्रय-विक्रय करने वालों सहित पेड़ की कटाई करने वाले के साथ आकस्मिक घटना घट गई और बेल का पेड़ की जगह पीपल का पेड़ उग आया.जिसकी पुनः पूजा-अर्चना होने लगी.इस बीच वर्ष 2002 में कोसी की बाढ.में पीपल का पेड़ गया.जिसका विशेष पूजन के साथ कटाई कराया गया और वहीं एक चबूतरे का निर्माण किया गया.लेकिन उस स्थान पर पुनः एक नया पीपल का पौधा उग आया और अब उसी पीपल के पेड के नीचे माता जगदम्बा विल्वेश्वरी की अराधना भक्तों के द्वारा किया जा रहा है.

मंदिर निर्माण के लिए नहीं मिलता है माता का आदेश

ग्रामीण बताते है कि सदियो से खूले आसमान के नीचे पहले बेल ओर अब पीपल पेड़ के नीचे माता जगदम्बा विल्वेश्वरी की अराधना भक्तजन करते आ रहे हैं.कई बार लोगों ने विशेष पूजा अर्चना के साथ मंदिर निर्माण की कवायद की लेकिन उन्हें सफलता नही मिली.कहा जाता है कि सच्चे मन से माता के दरबार में मांगने पर भक्तों की झोली खाली नहीं रहती.विशेष पूजा के अवसर पर रतीकांत पाठक,अवधेश पाठक,डब्लु पाठक,राजीव पाठक,दिलखूश पाठक,रूपेश पाठक,दिलीप पाठक,मुकुल,रिषू,मिंटू, राहूल,अंशू कुमारी, नीशू कुमारी,राजा पाठक,मनखूश पाठक आदि उपस्थित थे.



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