मिल सके तो देख लें आज नीलकंठ,माना जाता शुभ
लाइव खगड़िया : विजयदशमी के दिन नीलकंठ के दर्शन को शुभ माना जाता है. नीलकंठ पक्षी पर कहा गया है कि ‘नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो’.इन पंक्तियों में नीलकंठ को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है.
नीलकंठ का महत्व
दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है. इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है और फलदायी व शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं.सुबह से लेकर शाम तक किसी भी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है.कहा जाता है कि श्रीराम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी.विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है और नीलकंठ पक्षी भी भगवान शिव का ही रुप है.भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं.
विलुप्त होने के कगार पर नीलकंठ
विषपान करने और उसे पचा लेने के लिए ही शिव का नाम नीलकंठ पड़ा था और शायद नीलकंठ पक्षी का नाम भी इसके कुछ इसी तरह के चरित्र के कारण रखा गया होगा.क्योंकि यह पक्षी फसलों के खतरनाक कीड़ों को निगल कर किसानों की मदद करता रहा है.लेकिन किसानों नीलकंठ अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है.दो-तीन दशक पूर्व तक खेत-खलिहानों से लेकर बागानों में यह पक्षी खूब दिखाई देता था.आसानी से दिखने वाले नीलकंठ की अधिकता के कारण कभी इसकी गणना की भी पहल नहीं की गई.लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि नीलकण्ठ अब तलाशने के बावजूद नहीं दिख रहे.
किसानों का दोस्त कहे जाने वाले नीलकंठ पीठ पर नीली धारी और नुकीली चोंच वाला एकांतप्रिय पक्षी है.जो किसानों की फसलों के कीड़े पलक झपकते लपक लेता है और इस वजह से वह फसल को नुकसान से बचाता आया है.अब इसके नजर नहीं आने की कीमत किसान भी समझ रहे हैं.वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक इसके लिए हम सभी गुनहगार हैं.हमने अधिक उपज पाने के लिए फसलों में अंधाधुंध कीटनाशक इस्तेमाल किए.यही जहर नीलकण्ठ के लिए जानलेवा साबित हुआ है.जिससे नीलकंठ पक्षी विलुप्त होने के कगार पर है.
पुराणों में भी नीलकंठ को खास स्थान दिया गया है.वेद-पुराणों में भगवान शिव को नीलकंठ कहा गया है.इस रंग-बिरंगे खूबसूरत पक्षी का गला भी नीला है.इस कारण इसे शुभ माना जाता है.