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घटना के 24 घंटे बाद भी नहीं पहुंचे पुल निर्माण कंपनी के अधिकारी

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : अगुआनी – सुल्तानगंज गंगा नदी पर निर्माणाधीन फोरलेन पुल का हिस्सा 13 महीनों में दो बार गिर चुका है. गौरतलब है कि अगुआनी – सुल्तानगंज महासेतु का सुपर स्ट्रक्चर का करीब 108 मीटर का हिस्सा बीते वर्ष 30 अप्रैल भरभरा कर गिर गया था. उस वक्त भी मामले को लेकर काफी हाय-तौबा मची थी और पुल निगम के कई बड़े अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद मामले की जांच का आदेश दिया था. बताया जाता है कि आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को जांच का जिम्मा सौंपा गया था. इधर एक बार फिर रविवार को निर्माणाधीन पुल का पिलर संख्या 9, 10, 11 एवं 12,13 के करीब 200 मीटर का हिस्सा पूरी तरह से जमींदोज हो गया. घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद (समाचार प्रेषण तक) निर्माण कार्य में लगी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारी या फिर बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के कोई भी वरीय पदाधिकारी घटना स्थल पर नहीं पहुंचे थे. हलांकि मौके पर अपर एसडीओ चंद्रशेखर किशोर सिंह, सीओ चंदन कुमार एसडीआरएफ एवं एनसीआरएफ की टीम के साथ तैनात थे.

घटना को लेकर है तरह-तरह की चर्चाएं

निर्माणाधीन पुल का करीब 200 मीटर हिस्सा जमींदोज होने के बाद स्थानीय स्तर पर तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगी है. कहा तो यहां तक जाने लगा है कि पुल का हिस्सा गिरने की भनक पुल निर्माण कंपनी से जुड़े कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को पहले ही लग चुका था और रविवार दोपहर तक पुल निर्माण कार्य में लगे कर्मी एवं इंजीनियरों को वहां से हटा लिया गया. हालांकि इस संबंध में कंपनी के कर्मी इत्तेफाक नहीं रखते हैं और उनका स्पष्ट कहना है कि रविवार होने के चलते सभी कर्मी छुट्टी पर थे. बहरहाल मामले पर जब पुल निर्माण कंपनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला.

पहली घटना के बाद जांच के लिए दो टेक्निकल टीम किया गया था गठित

30 अप्रैल 2022 को निर्माणाधीन पुल ध्वस्त होने के बाद बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री के द्वारा जांच के लिए एनआईटी पटना और आईआईटी रुड़की की टीम को भेजा गया था. मामले की जांच के लिए चेयरमैन पंकज कुमार पाल ने दो टेक्निकल टीम का गठन किया था. जांच टीम में एनआईटी पटना के प्रोफेसर सुमैया निर्देशन, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर भार्गव और प्रोफेसर महेश टंडन शामिल थे. बताया जाता है कि एनआईटी एवं आईआईटी रुड़की की टीम ने मामले की जांच किया और इस बात को उल्लेखित किया कि पुल निर्माण में सावधानी बरती जाए, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो सके. लेकिन महज एक वर्ष बाद ही उसी निर्माणाधीन पुल से कुछ उसी तरह की दूसरी घटना भी सामने आ गई.

डिजाइन में फोल्ट !!

रविवार की देर शाम अगुआनी- सुल्तानगंज गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल टूट कर गिरने की सूचना मिलते ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एवं अपर मुख्य सचिव अमृत प्रत्यय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि विगत वर्ष 30 अप्रैल को अगुआनी-सुल्तानगंज गंगा नदी पर निर्माणाधीन सुपरस्ट्रक्चर टूट कर गिर गया था. जिसकी जांच आईआईटी रुड़की के टीम के द्वारा करवाया गया था. इस दौरान पिलर नंबर 5 की जांच प्रतिवेदन में अंकित किया गया था कि डिजाइन फॉल्ट होने के कारण आंधी में सुपर स्ट्रक्चर गिरा. जबकि कुछ और जांच रिपोट का इंतजार है. वहीं उन्होंने कहा कि यह बिहार सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट है और मामले की पूरी तरह से जांच कर दोषियों के ऊपर कठोर कार्यवाही की जाएगी.

जांच कर कठोर कार्यवाही का निर्देश

घटना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से मामले की विस्तृत जानकारी ली और सीएम ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को पुल के सुपर स्ट्रक्चर टूटकर गिरने की घटना की जांच कराने और दोषियों को चिन्हित कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. इधर पुल निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी लोग सवाल उठाने लगे हैं और पुल का हिस्सा टूटने की खबर के साथ लोगों का विश्वास भी टूटने लगा।

विधायक डॉ संजीव कुमार ने सदन में उठाया था पिलर क्रैक होने का मामला

15 मार्च 2023 को विधानसभा में सुल्तानगंज – अगुआनी पुल निर्माण कार्य की गुणवत्ता में कमी एवं धीमी गति से निर्माण कार्य धीमी चलने का मामला सदन में परबत्ता के विधायक डॉ संजीव कुमार ने उठाया था. वहीं उन्होंने कहा था कि सुल्तानगंज – अगुआनी पुल का निर्माण कार्य विगत 7 वर्षो से हो रहा है, इस पुल का निर्माण कार्य जुलाई 2022 में पूर्ण होने का आश्वासन मंत्री के द्वारा पिछले वर्ष सत्र में मिला था. लेकिन अभी भी कार्य पूर्ण नही हुआ है. साथ ही विधायक डॉ संजीव कुमार ने कहा था कि गुणवत्ता कि कमी और लापरवाही के कारण ही निर्माण कार्य के दौरान सुपर स्ट्रैक्चर गिरा था और अभी भी ऐसी शिकाकायतें मिल रही है कि महासेतु के पिलर में क्रैक आ रहा है. इस बात से खगड़िया के तत्कालीन जिलाधिकारी और पुल निर्माण निगम के प्रधान सचिव को अवगत कराने की बातें भी उन्होंने सदन में कहा था. उस वक्त विधायक डॉ संजीव कुमार के प्रश्न पर विभागीय मंत्री सह उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि वस्तुस्थिति यह है कि गंगा नदी पर सुलतानगंज से अगुआनी गंगा घाट के बीच बन रहे फोरलेन पुल का निर्माण प्रगति पर है और इसे दिसम्बर 2023 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है. 30 अप्रैल 2022 को इस पुल के एक स्पैन कार्य के प्रगति के दौरान दुर्घटना होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था और उस क्षतिग्रस्त स्पैन को तोड़ कर नये सिरे से तैयार करने का कार्य प्रगति पर है. साथ ही उन्होंने बताया था का दुर्घटना की जांच प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी रूरकी एवं एनआईटी पटना के विशेषज्ञ प्रोफेसर के द्वारा कराया जा रहा है, ताकि इसके सही कारणों का पता लगाया जा सके और जांच प्रतिवेदन के आधार पर अग्रेत्तर कार्रवाई की जायेगी.

16 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री ने किया था हवाई सर्वेक्षण

गौरतलब है कि अगुआनी-सुल्तानगंज पुल परियोजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट है. इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि परियोजना का शिलान्यास 23 जनवरी 2014 को खगड़िया जिले के एम डी कॉलेज परबत्ता के मैदान में किया गया था और 9 मार्च 2015 को कार्य आरंभ होने के दौरान सुल्तानगंज में उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. इतना ही नहीं 16 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण के जरिए पुल निर्माण कार्य का मुआयना किया था. इसके अलावा नियमित अंतराल पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अधिकारियों से वे जानकारी प्राप्त करते रहे थे.

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