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कभी खुद की जिन्दगी थी अंधेरे में और आज सिन्टू दे रहे औरों को प्रकाश

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : कहा जाता है कि यदि व्यक्ति में हिम्मत,लगन,जनून व जज्बा हो तो वो मुश्किल हालातों में भी अपनी मंजिल का पता ढूंढ ही लेता है.कुछ ऐसी ही कहानी है प्रतिभावान,संघर्षशील सिन्टू मेक्स की.जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत कुल्हड़िया गांव निवासी ललन साह का पुत्र सिंटू मेक्स अपनी मेहनत से खुद की अंधेरी जिन्दगी में प्रकाश लाते हुए गैरों के घरों में भी उम्मीदों की रोशनी फैला रहे हैं.मात्र सातवीं तक की पढाई करने वाले सिंटू को घर की आर्थिक हालात ने आगे पढने ना दिया.स्थितियां कुछ यूं बन पड़ी की उन्हें स्कूल को अलबिदा कहना पड़ा.साथ ही घर की माली हालात को देखते हुए रोजी-रोटी की तालाश में महज 12 वर्ष की उम्र में ही वो दिल्ली चले गये.यह वर्ष 1995 का वो वक्त था जब उन्हें गरीबी ने परिवार से बिछुड़ने को मजबूर कर दिया.लेकिन दिल्ली पहुंच कर भी सिन्टू की परेशानियां बहुत कुछ कम नहीं हुई.काम की तालाश के साथ वहां भी कई परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ा.लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अथक प्रयास करते रहे.इस बीच उन्होंने कड़ी मेहनत व मजदूरी कर कुछ पूंजी जमा किया और फिर दिल्ली के ही सदर बाजार में अपना एक छोटा सा उद्योग खोल लिया.धीरे-धीरे उनका व्यवसाय चमकता गया और आज तोे उनके खुद के नाम की सिंटू मेक्स,अमृता मेक्स ब्रांड की टार्च,लालटेन,गैस लाईट,मसाज ब्रस,रिमोट कवर आदि जैसे घरेलू समान का निर्माण कर बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना ली है.सिंटू मेक्स टार्च तो दिल्ली सहित बिहार के बाजारों में भी रोशनी फैलाने लगी है.बहरहाल सिन्टू अपनी इस सफलता में अपने बड़े पापा स्वर्गीय सागर साह की भूमिका को याद करना नहीं भूलते हैं.उधर वक्त के साथ उनके द्वारा निर्मित समानों की मांग बढती गई और कभी खुद बेरोजगार रहे सिन्टू के लघु उद्योग में आज करीब ढेड़ दर्जन करीगर काम कर रहे हैं.उनके यहां निर्मित समानों का बाजार बिहार के बेगुसराय,खगड़िया,कटिहार,पुर्णियां,भागलपुर सहित कई अन्य जिला बन गया है.साथ ही देश के अन्य आधा दर्जन राज्यो में भी उनकी टार्च का डिमांड अच्छी बताई जा रही है.बहरहाल सिन्टू के संघर्ष की कहानी आज के बेरोजगारों व युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है.

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