
भरतखंड का ऐतिहासिक इमारत 52 कोठली 53 द्वार के बहुरेंगे दिन
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार ने बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री से मिलकर जिले के भरतखंड का ऐतिहासिक ’52 कोठली 53 द्वार’ को विकसित व संरक्षित करने तथा अगुवानी में गंगा किनारे को पिकनिक स्पॉट के रूप में चिन्हित करने की मांग की है.
जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत सौढ दक्षिणी पंचायत के भरतखंड गांव का उल्लेखनीय है कि ढाई सौ साल पुराने बाबन कोठली तिरपन द्वार के नाम से मशहूर पक्का एवं सुरंग को देखने के बिहार ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं. बताया जाता है कि इस महल को राजा बाबू बैरम सिंह ने बनाया था. लेकिन अब तक इसके संरक्षण का प्रयास नहीं किया गया. जिससे ऐतिहासिक महल अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच चुका है.
कहा जाता है कि बकराती मियां ने उक्त महल का निर्माण किया था. महल की भव्यता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उक्त महल पांच बिघा पांच कट्ठा, पांच धूर व पांच धुरकी में है. बताया जाता है कि महल सुरखी चूना, कत्था, तथा राख से बनाया गया है. महल में माचिस आकार के ईंट से लेकर दो फीट तक के कई प्रकार के ईंटों का प्रयोग किया गया है. महल में कुल 52 कोठली व 53 द्वार बनाए गए हैं. लोग उक्त महल को बावन कोठली तिरेपन द्वार के नाम से भी संबोधित करते हैं. बोलचाल में लोग इसे भरतखंड का पक्का भी कहते हैं.
महल की भव्यता, बनावट व मजबूती देख लोग अचंभित हो जाते हैं. कहा जाता है कि महल में कोई व्यक्ति प्रवेश कर जाता था तो निकलना आसान नहीं होता था. कारीगरों द्वारा महल के दिवाल पर की गई नक्काशी आज भी लोग देखने के लिए आते हैं. इतिहासकारों का मानना है कि यह महल धरोहर है और भारतीय संस्कृति की मौलिक प्रतिष्ठा को देखते हुए इसकी सुरक्षा करनी चाहिए. साहित्यकार डॉ. कामाख्या चरण मिश्र कहते हैं कि यह महल खगड़िया ही नहीं बल्कि बिहार के लिये गौरवशाली अतीत है. लेकिन दुर्भाग्यवश वर्षों यह महल उपेक्षित रहा है. लेकिन अब विधायक की पहल से आशा की एक नई किरण जगी है. दूसरी तरफ विधायक ने अगुवानी की तरफ गंगा के किनारे को पिकनिक स्पॉट के रूप में चिन्हित कर इसे विकसित करने की मांग की है.