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श्री प्रेमानंद संकीर्तन गोष्ठी : परबत्ता के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत की झलक

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : आध्यात्मिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीयता एवं मानवता के उत्थान के लिए श्री प्रेमानंद संकीर्तन पाक्षिक गोष्ठी का आयोजन हर पखवाड़ा रविवार को किया जाता है. इस गोष्ठी कार्यक्रम में इलाके के कथा वाचक, संगीत कलाकार नि:स्वार्थ भाव से शामिल होकर गांव के सभी वर्गो के लोगो को अध्यात्मिक के साथ-साथ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक का ज्ञान बांटते हैं. श्री प्रेमानंद संकीर्तन पाक्षिक गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन पन्द्रह दिनों में रविवार के दिन परबत्ता प्रखंड के विभिन्न गांवों में किया जाता है. जिसमें काफी संख्या में लोग भाग लेते है. इस क्रम में युवा वर्ग को तबले पर संगत और संगीत की शिक्षा दी जाती है.

श्री प्रेमानंद संकीर्तन पाक्षिक गोष्ठी का आयोजन 5 जनवरी 1997 से किया जा रहा है. जिसमें संस्थापक श्री राम कथा वाचक मयंक जी महाराज, रविन्द्र झा, बरुण मिश्र, सच्चिदानंद सिंह का प्रमुख योगदान रहा है. साथ ही गोष्ठी में इलाके के नामचीन  संगीत कलाकार किंकर सिंह, दुर्गा चरण सिह, राजा राम, राजीव सिंह, प्रतीक, आर के अमूल एवं हरे राम चौधरी सहित उद्धघोषक के तौर पर रोशन कुमार, पंकज चौधरी आदि अपना बहुमूल्य समय देकर कार्यक्रम को गति प्रदान करने में सहयोग करते रहे हैं. गोष्ठी में दूर-दराज के संगीत कलाकार एवं गजल गायक भी अपनी प्रस्तुति देते आ रहे हैं. बताया जाता है कि गोष्ठी के दौरान तबले, झाल व हारमोनियम के साथ संगीत की जुगलबंदी श्रोताओं को भावविभोर कर जाता है.




स्थानीय लोगों का मानना है कि परबत्ता की धरती आध्यात्मिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक की रही है और इस विरासत को बरकार रखने की आवश्यकता है.श्री प्रेमानंद संकीर्तन पाक्षिक गोष्ठी के माध्यम से सभी तबके के लोग आपस में जुड़ रहे हैं. साथ ही गोष्ठी के दौरान युवाओं को बड़े-बुजूर्गो का मार्गदर्शन भी मिलता आ रहा है. जिससे श्री प्रेमानंद संकीर्तन पाक्षिक गोष्ठी के सदस्यों का हौसला दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है.


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