शौच के लिए घर की ओर दौड़ लगानी पड़ती है इस विद्यालय के बच्चों को
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत अंतर्गत राका ग्राम में अनुसूचित जाति के बच्चों की शिक्षा के लिये शिक्षा विभाग की ओर से वर्ष 2007 में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई थी. लेकिन वर्षों बाद भी इस विद्यालय को जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण आज भी पठन-पाठन एक कमरे के पुस्तकालय भवन मे चल रहा है. विद्यालय में एक से पांच वर्ग में कुल संख्या 85 बच्चे नामांकित है. जिन्हें एक छोटे से कमरे में शिक्षा ग्रहण करना जैसे मजबूरी है. इतना ही नहीं इन्हीं कमरे में मध्याह्न भोजन सामग्री सहित सार्वजनिक सामान भी पड़ा है. ऐसे में उस कमरे की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. साथ ही इसी परिसर में दुर्गा मंदिर आदि होने के कारण आये दिन सार्वजनिक समारोह के कारण भी पठन-पाठन मे व्यवधान उत्पन्न होता रहता है.
विद्यालय मे कार्यरत शिक्षिका रेखा कुमारी ने बताया कि इन समस्याओं को लेकर कई बार विभाग को अवगत कराया जा चुका है. लेकिन अबतक इसका समाधान नहीं निकल पाया है. दूसरी तरफ इसी गांव में इस विधालय से मात्र सौ मीटर की दूरी पर मध्य विद्यालय राका को 14 कमरा सहित आलीशान भवन भी है. जिसमें कुल नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या महज 350 है. स्थानीय लोगों की माने तो इस विद्यालय में भी प्राथमिक विद्यालय का समायोजन किया जा सकता है.
समायोजन का है प्रावधान
राज्यपाल के आदेशानुसार एवं सरकार के उप सचिव के ज्ञापांक 197 दिनांक 09-02-2017 के द्वारा सभी जिलाधिकारी, शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भेजे गये पत्र मे स्पष्ट कहा गया है कि वैसे प्राथमिक विधालय जिन्हें अपना भूमि एवं भवन नहीं है, उसे एक किलोमीटर की परिधि में दूसरा विद्यालय रहने की स्थिति में उस विद्यालय में ही छात्र सहित शिक्षक का समायोजन किया जाये. लेकिन आज तक प्राथमिक विद्यालय राका का मध्य विद्यालय में समायोजन नहीं हो पाया है और मामला अधर में लटका हुआ है.
अभिभावकों के बीच पनप रहा आक्रोश
पठन-पाठन में बच्चों की समस्या को लेकर अभिभावकों सहित ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश पनपने लगा है. ग्रामीण बताते है कि अनुसूचित जाति के बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से खोला गया यह विद्यालय महज एक खानापूर्ती साबित हो रहा है. दूसरी तरफ पुस्तकालय का जर्जर भवन दुर्घटना को आमंत्रण दे रहा है. बताया जाता है कि जर्जर हो चुकी पुस्तकालय भवन के छत से पानी टपकता है और उसी एक कमरे में एक से लेकर वर्ग पांच तक की पढ़ाई होती है. कभी-कभी तो विद्यालय के बगल में बांस बिट्टी के नीचे पठन पाठन का कार्य किया जाता है.
खुल रही है स्वच्छता अभियान की पोल
ग्रामीणों की मानें तो विद्यालय के छात्र खुले में मूत्र त्याग करने को विवश हैं. जो स्वच्छता अभियान की पोल खोल रही है. इतना ही नहीं शौच के लिए इस विद्यालय के छात्रों को घर की ओर दौड़ लगानी पड़ती है.
कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकिशोर सिंह बताते है कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि जो विद्यालय सार्वजनिक भवन, मंदिर, मस्जिद या अन्य सार्वजनिक स्थानो पर चल रहे हैं उन्हें बगल के विद्यालय में समायोजन किया जाये. जल्द ही सार्वजनिक भवनो में चल रहे विद्यालय का समायोजन कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.