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‘कभी आइए न हमरा बिहार में’ ने बदल दी बिहार के प्रति लोगों का नजरिया

लाइव खगड़िया : सांस्कृतिक स्रोत सह प्रशिक्षण केन्द्र, नई दिल्ली के द्वारा 4‌ से 14 दिसंबर तक आयोजित प्रशिक्षण शिविर में देश के 13 राज्यों के चयनित प्रतिनिधियों को विविध संस्कृतियों और हस्तकला सहित विविध कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया. कार्यक्रम में खगड़िया की श्वेता साक्षी उर्फ स्वराक्षी स्वरा ने बिहार की कला संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही उन्होंने मिथिला शिल्प एवं कला पर वक्तव्य भी दिया.

प्रशिक्षण शिविर से लौटने पर स्वराक्षी स्वरा ने बताया कि कार्यक्रम में शिरकत करना फक्र की बात है. केन्द्र द्वारा इस तरह के प्रायोजनों से भारत की सांस्कृतिक परंपराओं को अक्षुण्ण रखने का जोश व ज़ज्बा पैदा होता है. बताया जाता है कि कार्यक्रम में जिले की शिक्षिका सह कवयित्री श्वेता साक्षी उर्फ स्वराक्षी स्वरा ने बिहार का ना सिर्फ नेतृत्व किया बल्कि उसने अंग, बंग, मगध और मिथिला की संस्कृतियों के बीच की दूरी को पाटने में भी अपनी सार्थक भूमिका निभाई. वहीं उनकी पढ़ी गई कविता “कभी आइए न हमरा बिहार में…” विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि के जुबान पर चढ़ गया और सभी ने बिहार आने और बिहार की संस्कृति को नजदीक से समझने का वादा किया है.

मौके पर जम्मू से आए अदनान बट्ट ने कहा कि बिहार के बारे में पहले केवल गलत ही सुना था. लेकिन आज बिहार के प्रति उनका नजरिया बदल गया और वे जल्द ही बिहार जायेंगे.

प्रशिक्षण शिविर में बिहार की कला व संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वराक्षी स्वरा की मंजूषा पेंटिंग की काफी प्रशंसा हुई. साथ ही कांगड़ा कला, जातक कथाएं , सोलापिठ आदि की भी जानकारी हासिल की. ज्ञात हो कि इस सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण की सदारत डा विनोद नारायण इंदुकर ने किया. जबकि ख्याति-प्राप्त संस्कृति कर्मी ऋषि वशिष्ठ निदेशक थे. वहीं CCRT के उपनिदेशक राहुल कुमार ने प्रतिनिधियों को सम्मानित करते हुए उन्हें जिम्मेदारी दी कि वे आस-पास की लोक कलाओं की पहचान कर उसे सही मार्ग दिखाएं. मौके पर स्वरा ने कहा कि एक समय आएगा जब बिहार को लोग बहार के नाम से याद करेंगे और अपने राज्य को आगे ले जाने का वे प्रयास करती रहेंगी.

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