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गंगा की मुख्य धारा से कंक्रीट मलबा निकालना पुल निर्माण कंपनी के लिए बड़ी चुनौती !

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : अगुआनी – सुल्तानगंज गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल के हिस्से का गिर जाने के बाद नदी से कंक्रीट के मलवे को निकालना निर्माण कंपनी के लिए आसान नहीं रहने वाली है. उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत प्रत्यय ने कहा था कि एसपी सिंगला कंपनी को शो कॉज नोटिस दिया गया है और अगुआनी के साइड से एक स्पैन तुरंत तोड़ने को कहा गया है. साथ ही एजेंसी को गंगा में गिरे मलवा को 15 दिनों के अंदर हटाने का निर्देश दिया गया है. ताकि डॉल्फिन अभ्यारण वाला रिजर्व क्षेत्र शीघ्र प्रदूषण से मुक्त हो सके. वहीं सचिव ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि दोषी को हर हाल में बख्शा नहीं जाएगा. लेकिन गंगा की मुख्यधारा में हजारों टन गिरे मलबा को 15 दिनों के अंदर निकालना निर्माण कंपनी के लिए एक चुनौतीभरा कार्य होगा. बताया जाता है कि कुछ दिनों में गंगा के जलस्तर में वृद्धि होना शुरू हो जायेगा. हलांकि मिली जानकारी के मुताबिक मलबा हटाने का कार्य शुरू हो चुका है.

कहते हैं भारतीय वन्यजीव संस्थान, भागलपुर के गंगाप्रहरी स्पेयरहेड दीपक कुमार

निर्माणधीन अगुआनी- सुल्तानगंज का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होकर गंगा में समा गया. घटना में बड़ी मात्रा में कंक्रीट मलबा भी गंगा में गिरा है. इस पुल पर ही देश का पहला डॉल्फिन ऑब्जर्वेशन सेंटर भी बन रहा हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात यह है कि गंगा का यह हिस्सा विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन सेंचुरी का हिस्सा है या नहीं. यहीं अतिदुर्लभ कई जीवों के साथ भारत की राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन का निवास स्थान है. जैव विविधता के लिहाज से गंगा का ये भाग काफी संवेदनशील है. डॉल्फिनों के संरक्षण के लिए सरकारें कई परियोजनाओं पर काम कर रही है. जिसमें बड़ी मात्रा में राशि खर्च हो रहा है. निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद पर्यटक यहां डॉल्फिन को नजदीक से देखने का आनंद ले सकेंगे. इस पुल पर 75 गाड़ियाें की पार्किंग, सीढ़ी के साथ-साथ अत्याधुनिक लिफ्ट, पर्यटकों के लिए कैफेटेरिया, डॉल्फिन ऑब्जर्वेशन सेंटर भी बन रहा है और यह सेंटर चार मंजिल का हाेगा. जिसमें से दो तल पुल के ऊपर और दो तल पुल के नीचे होगा. इसकी ऊंचाई 40 फीट व चाैड़ाई 100 फीट होगी. बताया जाता है कि कंक्रीट मलवे को गंगा नदी से निकाल पाना आसान नहीं होगा और इसका दुर्गामी दुष्परिणाम भी देखने को सकता है. बताया जाता है कि मलवों के कारण गंगा की अविरलता कम होगी. प्रारंभिक कुछ साल इन मलबों में छोटी मछलियों का आश्रय भी होगा. जिसके कारण डॉल्फिन आकर्षित होगी. लेकिन कुछ वक्त के बाद इन कंक्रीट ढांचों में गाद तेजी से भरेगा और इन स्थानों पर नए टीले दिख जाने की संभावना है. ऐसे में जीवों का इस क्षेत्र से भरी मात्रा में पलायन हो सकता है और सरकार की महत्वपूर्ण योजना डॉल्फिन ऑब्जर्वेशन सेंटर पर करोड़ों रुपए खर्च करने की योजना व्यर्थ जा सकती है.

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