भारत की पहली डॉल्फिन वेधशाला खगड़िया के नजदीक, कार्य शुरू
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : भारत की पहली वर्ल्ड क्लास डॉल्फिन वेधशाला का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. जो जिले के सीमावर्ती क्षेत्र से बिल्कुल ही नजदीक होगा. बिहार सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना अगुआनी -सुल्तानगंज गंगा नदी पर निर्माणाधीन महासेतु के उपर डॉल्फिन वेधशाला के निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा लोग नजदीक से डॉल्फिन का दीदार कर सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि गंगा नदी के बीच अगुआनी-सुलतानगंज महासेतु के पुल पिलर संख्या 10 पर दोनों तरफ 25 सौ वर्ग मीटर के एरिया को विकसित करने के लिए प्लिंथ का निर्माण कार्य पूर्व में ही पूरा कर लिया गया था और अब इस पर ढांचा को तैयार करने के लिए आवश्यक तैयारी शुरू हो गई है. मिली जानकारी के अनुसार इस एरिया में 100 मीटर का हिस्सा गाड़ियों के पार्किंग के लिए होगा. जबकि दोनों ही छोर पर 4 मंजिला इमारत बनाई जाएगी. अभियंता के मुताबिक पुल के ऊपरी हिस्से पर दो तल और बांकी पुल के निचले हिस्से पर अवस्थित रहेगा. जिसपर आवाजाही के लिए सीढ़ियों के साथ-साथ अत्याधुनिक लिफ्ट लगाया जाएगा और इन 4 मंजिला इमारतों में पर्यटक की सुविधाओं को ध्यान में रखकर आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध रहेंगे. जहां निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति के लिए दो अलग-अलग बड़े जनरेटर भी लगाए जाएंगे और निर्माण पूर्ण होने के बाद अगले 5 वर्षों तक पुल निर्माण कंपनी ही इसका देखरेख भी करेगी.
प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक कुमार झा ने बताया की वेधशाला का डिजाइन ऐसा है कि यह इको-टूरिज्म को बढ़ावा देगा और डॉल्फ़िन की अटखेलियां लोग बिना परेशानी लोग नजदीक से देख सकेंगे. यह नदी के बीच में होगा जहां पुल की चौड़ाई लगभग 100 फीट होगी. बताया जाता है कि नदी में इस ढांचे के लिए चार विशेष खंभों का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है और आगे का कार्य तेजी से प्रगति पर है. प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने बताया है कि चार मंजिला वेधशाला 40 फीट ऊंची होगी. जिसके बीच से पुल गुजरेगा और ऑब्जर्वेटरी बिल्डिंग पारदर्शी होगी. जिसमें चारों तरफ से शीशा होगा. ताकि लोग स्पष्ट रूप से डॉल्फ़िन को देख सकें. डॉल्फिन वेधशाला परिसर में एक कैफेटेरिया होगा. साथ ही यहां 75 वाहनों को पार्क करने की विशेष सुविधा होगी. सूत्रों के मुताबिक पर्यटक के लिए अगुआनी में गेस्ट हाउस का निर्माण किया जाएगा और इसके लिए जमीन की तलाशी की जा रही है.
बिहार सरकार की यह परियोजना महत्वाकांक्षी माना जाता है और इसकी लागत का आरंभिक मूल्यांकन 1710.77 करोड़ किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के एम डी कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था तथा 9 मार्च 2015 को मुरारका कॉलेज सुलतानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारम्भ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा ही किया गया था. इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा. जिसका फायदा प्रति वर्ष श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को भी मिलेगा.