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टेंट हाउस की आग से धधकी नगर की राजनीति

लाइव खगड़िया : नीति-सिद्धांत व कार्यक्रम के आवरण में लिपटी राजनीति चुनाव के वक्त हर बंधन को तोड़ जाता है. यह वह दौर होता है जब हर संभावित प्रत्याशी अपने दामन को पाक-साफ रखना चाहता है. लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि यह ही वह वक्त होता है जब राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के द्वारा आरोपों के छींटों की बौछार बढ़ जाती है. वैसे तो राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कोई नया मामला नहीं है. लेकिन जब किसी के दर्द व बर्बादी पर राजनीति शुरू हो जाये तो सियासत के इस रंग को कतई उचित नहीं ही माना जा सकता है. नगर परिषद का चुनाव नजदीक है और सोमवार की अहले सुबह शहर की एक घटना से नगर की राजनीतिक पारा चढ़ गया. हलांकि मामला पुलिस के अनुसंधान में है और उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में दूध का दूध व पानी का पानी सामने आ जायेगा. लेकिन इस बीच राजनीतिक आरोप – प्रत्यारोप के बीच पीड़ित परिवार का दर्द गौण सा रह गया है.

दरअसल सोमवार की अहले सुबह नगर थाना क्षेत्र के बबुआगंज स्थित एक टेंट हाउस में आग लगने से लाखों का सामान जलकर खाक हो गया था. मामले में पीड़ित पक्ष के द्वारा भू-विवाद में भाजपा नेता संजय खंडेलिया सहित कुछ अन्य लोगों के द्वारा घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया गया. जिसके बाद भाजपा नेता के राजनीति प्रतिद्वंद्वी ने मामले को हवा दे दी और नगर की राजनीतिक तूफान चरम पर पहुंच गया. हलांकि घटना के अगले दिन भाजपा नेता संजय खंडेलिया ने कुछ तथ्यों को मीडिया के सामने रखते हुए पलटवार किया और घटना के लिए अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्धी पर आरोप मढ़ दिया. उल्लेखनीय है कि नगर परिषद के चुनाव में संजय खंडेलिया की पत्नी मीना गुप्ता खंडेलिया भी नगर सभापति की कुर्सी की रेस में शामिल हैं.

मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में भाजपा नेता संजय खंडेलिया ने घटना की निंदा व पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए मामले की किसी वरीय पदाधिकारी से जांच की मांग रखते हुए कहा कि यदि वे इस घटना में दोषी पाये गए तो राजनीतिक व सामाजिक जीवन से सन्यास ले लेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि दबंग व भू माफिया के द्वारा पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाकर उन्हें फंसाने की साजिश रची गई है. जबकि उस जमीन पर उनका या उनके परिवार के किसी सदस्य का दूर-दूर तक कोई दावा ही नहीं है. उन्होंने कहा कि वे घटना के वक्त घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं थे. लेकिन सूचक ने उनके वहां मौजूद होने का आरोप लगाया है और सच्चाई आसपास के सीसीटीवी फुटेज के खंगालने से सामने आ जायेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि घटना के तारीख के कई दिनों पूर्व से ही चैंबर ऑफ कॉमर्स के जिलाध्यक्ष अशोक सर्राफ हिमाचल प्रदेश में थे. लेकिन उनके भी घटना के वक्त मौजूदगी का आरोप मामले में कई सवालों को जन्म देता है. बहरहाल राजनीति अपनी जगह है और आरोप भी अपनी जगह. घटना के पीछे की सच्चाई के लिए थोड़ा इंतजार कर लेना ही शायद बेहतर होगा. लेकिन फिलवक्त इतना तो कहा ही जा सकता है कि मामला नगर की राजनीति पर चुनावी रंग चढ़ा गया है.

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