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पारिवारिक रिश्तों को निभाने डैड की राह पर चिराग

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : लोजपा के संस्थापक दिवंगत नेता रामविलास पासवान ने अपने 50 साल के राजनीतिक सफर में कई मुकाम को हासिल किया था. राजनीति के एक बड़े मुकाम को हासिल कर भी वे परिवार के हर सदस्य को साथ लेकर चलते रहे और उन्हें आगे बढ़ाया. साथ ही उन्हें राजनीति में स्थापित किया. लेकिन रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके पुत्र चिराग पासवान के लिए चाचा पशपुति पारस और चचेरे भाई प्रिंसराज का अलग होना किसी बड़े झटके से कम नहीं था. लेकिन इन झटके से उबरते हुए चिराग पासवान अपने डैड रामविलास पासवान की राह पर निकल चले हैं और उन्होंने अपने परिवार को एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी है.

बीते दिनों लोजपा(रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद चिराग पासवान अपनी मां एवं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपनी बड़ी मां राजकुमारी देवी से मिलने जिले के अलौली प्रखंड के शहरबन्नी पहुंचे. बताया जाता है कि करीब 44 वर्षों के बाद यह पहली बार दिवंगत नेता रामविलास पासवान की दोनों पत्नी एकसाथ एक-दूसरे से मिलीं. चिराग सहित स्थानीय लोगों के लिए लंबे समय बाद स्नेहपूर्ण पारिवारिक मिलन का दृश्य अद्भूत था. वहीं दोनों ने मिलकर चिराग को आशीर्वाद दिया. इस दौरान उनके कई करीबी व पार्टी समर्थक मौजूद रहे.

पिछले दिनों चिराग पासवान अपने फूफा के घर जिले के चौथम प्रखंड के खरैता गांव पहुंचे थे. इस दौरान चिराग की मां रीना पासवान भी साथ थीं. जिसे परिवार को एकजुट करने के लिए चिराग की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा हैं. साथ ही अपनी यात्रा के दौरान बेगूसराय जिले में रह रहे अपने कई सगे-संबंधियों से भी मुलाकात थी. उल्लेखनीय है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद पासवान परिवार के रिश्तों में दरार आ गयी है. इस कड़ी में चिराग पासवान का चाचा पशुपति पारस से तल्खी बढ़ी है. साथ ही चचेरे भाई प्रिंस राज से भी चिराग रिश्ते कड़वे हुए है. बहरहाल चिराग का परिवार के अन्य सदस्यों को एकजुट करने की कोशिश को रामविलास पासवान की राह पर चलने के प्रयास के तौर पर तो देखा ही जा सकता है.

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