पढ़ें, शहर के अघोरी स्थान के बारे में रोचक बातें, जो शायद आप नहीं जानते
लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : योगिराज डॉ रामनाथ अघोरी बाबा के पुण्यतिथि के अवसर पर गुरूवार को शहर के बलुआही गंडक किनारे स्थित योगिराज डॉ रामनाथ अघोरी बाबा आश्रम के बाबा के समाधि स्थल पर बाबा की प्रतिमा को नया वस्त्र पहनाकर विधि – विधान के साथ पांच प्रकार के फल, मिठाई एवं खीर का भोग लगा पूजा किया गया. इस अवसर पर 51 कुवांरी कन्या को भोजन कराया गया. साथ ही लोगों के बीच खीर का महाप्रसाद वितरण किया गया.
बताया जाता है कि योगिराज डॉ रामनाथ अघोरी बाबा की मृत्यु 06 जनवरी 1980 को कलकत्ता में हुई एक कार दुर्घटना में हो गई थी. जिसके बाद कलकत्ता के बालू घाट स्थित बाबा के आश्रम में समाधि दिया गया और वहीं उनका स्मारक बनाया गया. रामनाथ बाबा ने अपने शिष्य चैत नाथ को स्वप्न्न दिया कि मेरा समाधि स्थल खगड़िया आश्रम में बनना था, लेकिन यह कलकत्ता के बालू घाट में बना दिया गया. जिसके बाद चैतनाथ ने कलकत्ता बालू घाट स्थित समाधि से मिट्टी लाकर अघोरी स्थान खगड़िया में भी बाबा का स्मारक बनाकर प्रतिमा लगवाया.
बताया जाता है कि योगिराज डॉ रामनाथ अघोरी बाबा नेपाल देश के राजा महेंद्र के राजपरोहित थे. किसी बात को लेकर वे नेपाल राजदरबार को छोड़कर नाव से नदी मार्ग से निकल गये और उनका नाव खगड़िया के बलुआही में आकर रुक गया. यह 1956 की बात है. तब उनके नाव पर मां काली का काठ की प्रतिमा बना हुआ था. उस वक्त वे वे नाव पर ही रहते थे और पूजा पाठ करते थे. बाद में बाबा को यह जगह मंदिर के लिए पसंद आ गया. कहा जाता है कि बाबा बहुत सिद्ध पुरूष थे. वे गरीबों की मदद करते थे और आर्थिक रूप से भी सहयोग किया करते थे. वहीं मंदिर निर्माण के लिए स्थानीय लोगों से जमीन दान लेकर चंदा कर सबसे पहले मां काली का मंदिर निर्माण कराया गया. जिसके बाद नेपाल काठमांडू से पशुपतिनाथ मंदिर जैसा शिवलिंग काठमांडू से लाकर स्थापित किया गया. साथ ही दक्षिण मुख का हनुमान मंदिर बनवाया गया. बताया जाता है कि एक धर्मशाला भी बनाया गया था, जो उनके देहवासन के बाद गंडक नदी के कटाव के कारण नदी में गिर गया. बिजली से जलने वाला शवदाह गृह भी बनवाये थे वह भी गंडक नदी में समा गया.
बताया जाता है कि सन 1962 में जब गेमन इंडिया कम्पनी द्वारा गंडक नदी के ऊपर पुल बनवाया जा रहा था तो नदी में पिलर नहीं बन पा रहा था. ऐसे में गेमन इंडिया के इंजीनियर बाबा रामनाथ अघोरी के पास पहुंचे और पूजा पाठ करवाया गया. जिसके बाद पुल का निर्माण संभव हुआ और 1964 में पुल बनकर तैयार हो गया. बाद में गेमन इंडिया द्वारा कलकत्ता से मिस्त्री लाकर मां दुर्गा मंदिर का निर्माण कर वहां पत्थर की प्रतिमा भी लगवाया गया.
बताया जाता है कि डॉ रामनाथ बाबा तंत्र विद्या के साथ साथ होमियोपैथी के एक अच्छे डॉक्टर भी थे. उस समय विक्षिप्त को मंदिर में रखकर उससे मंदिर निर्माण कार्य मे सहयोग लिया जाता था और उसका इलाज भी किया जाता. फिर ठीक होने पर उन्हें अपना घर भेज दिया जाता था.
कहा जाता है कि डॉ रामनाथ बाबा शराब के विरोधी थे और शराबबन्दी को लेकर वे लोगों को जागरूक भी करते थे. एकबार बलुआही ठाकुरबाड़ी में एक व्यक्ति शराब पीकर आ गया था. जिसके बाद उसके खिलाफ डॉ रामनाथ बाबा धरना पर बैठ गये थे. बताया जाता है कि नाथ सम्प्रदाय में डॉ रामनाथ बाबा का बहुत बड़ा स्थान है. जिनका देवघर व रांची सहित देश के कई जगहों पर मंदिर है. भारत के अलावे नेपाल भूटान आदि में भी इनका आश्रम होने की बातें कही जा रही है. योगिराज डॉ रामनाथ बाबा का यह स्थान नाथ सम्प्रदाय में सिद्ध पीठ के नाम से जाना जाता है. यहाँ नेपाल, भूटान आदि से भी लोग तंत्र विद्या की सिद्धि के लिए आते हैं.
(स्थानीय लोगों से मिली जानकारी पर आधारित)