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चुनावी चर्चा : जब जिले के चार विधानसभा सीटों में से तीन ले उड़ी थी लोजपा




लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : वर्ष 2005 का विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति के लिए अहम वर्ष रहा था. इस वर्ष ही 15 साल के राजद शासन के बाद बिहार की राजनीति ने करवट ली थी. हलांकि 2005 में बिहार को दो बार विधानसभा का चुनाव देखना पड़ा था. फरवरी 2005 के चुनाव में किसी दल को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं मिली थी. लेकिन यह चुनाव लोजपा को चर्चाओं में ला दिया था और पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के बावजूद लोजपा उस स्थिति में थी कि उनके हाथ सत्ता का चाबी माना जा रहा था. लेकिन पार्टी सुप्रिमो रामविलास पासवान अपने 29 विधायकों की ताकत के बावजूद सत्ता की चाबी का इस्तेमाल नहीं कर सके थे. जिसके बाद विधानसभा भंग कर दी गई. जबकि अक्टूबर 2005 के चुनाव में लोजपा महज 10 सीटों पर सिमट गई थी. 



फरवरी 2005 का चुनाव लोजपा के लिए खगड़िया जिले में भी खास रहा था. उस चुनाव में जिले के चार विधान सभा क्षेत्रों में से तीन पर लोजपा के प्रत्याशी ने फतह हासिल की थी. फरवरी 2005 चुनाव में चौथम (अब बेलदौर) विधानसभा सीट से लोजपा उम्मीदवार सुनीता शर्मा, खगड़िया से पूनम देवी यादव एवं अलौली से पशुपति कुमार पारस ने जीत अर्जित की थी. जबकि उसी वर्ष अक्टूबर में हुए चुनाव में जिले में लोजपा महज एक सीट पर सिमट कर रह गई थी. अक्टूबर 2005 के चुनाव में लोजपा सिर्फ अलौली की ही सीट जीत सकी थी. जहां से लोजपा सुप्रिमो रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस मैदान में थे. हलांकि वर्ष 2010 के चुनाव में लोजपा प्रत्याशी पशुपति कुमार पारस को भी अलौली से हार का सामना करना पड़ा था. जिसके साथ ही पार्टी सुप्रिमो रामविलास पासवान को अपने गृह जिले में सिफर का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में खगड़िया संसदीय सीट एनडीए के लोजपा कोटे में आई और दोनों ही चुनावों में एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार चौथरी महबूब अली कैसर ने जीत अर्जित कर जिले के चुनावी राजनीति में लोजपा के उम्मीद की किरण फिर से जगाया. हलांकि इस बीच विगत विधान सभा चुनाव में भी एनडीए के घटक दलों में से अलौली व बेलदौर की सीट लोजपा कोटे में रही थी. लेकिन 2015 के चुनाव में भी लोजपा के उम्मीदवार को जिले के दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. 

बहरहाल लोजपा ने घोषणा कर दिया है कि पार्टी एनडीए के घटक दल के रूप में बनी रहेगी, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में वह गठबंधन के नेता नीतीश कुमार के चेहरे के खिलाफ वोट मांगेगी. ऐसे माना जा रहा है कि लोजपा विधानसभा चुनाव में जिले में भी जदयू उम्मीदवार के सामानांतर अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी. यदि ऐसा होता है तो जिले के चारों विधानसभा सीटों पर लोजपा के उम्मीदवार नजर आ सकते हैं. क्योंकि जिले के चार विधानसभा सभा सीटों में से तीन खगड़िया, बेलदौर व परबत्ता की सीट पर जदयू का कब्जा है और माना जा रहा कि जदयू के सिंटिंग सीटों पर इस बार भी एनडीए समर्थित जदयू के उम्मीदवार ही मैदान होगें. जबकि अलौली की सीट लोजपा की पारंपरिक सीट रही है. यदि ऐसा होता है तो कम से कम उम्मीदवारी के मामले में लोजपा के संभावित उम्मीदवारों की किस्मत खुल सकती है.

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