दिल्ली के स्लम बस्तियों में शिक्षा का अलख जगा रहे फरकिया के दो लाल
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के आदर्श कुमार और अनुराग कुमार को एक मार्च को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पांड्या, सोनम वांगचुक एवं अनु कुमारी के द्वारा सम्मानित किया गया. दोनों ही कबेला निवासी गोपाल कुमार झा व रंजना देवी के पुत्र हैं. बताते चलें कि सोनम वांगचुक के जीवन पर आधारित 3 इडियट्स मुवी बनी थी. जिन्होंने लद्दाख के क्षेत्र में शिक्षा और पर्यावरण पर बेहतर काम किया था. जबकि अनु कुमारी वर्ष 2017 की आईएएस सेकेंड टॉपर व हरियाणा के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान’ की ब्रांड एम्बेसडर हैं. इसी तरह डॉ चिन्मय पांड्या अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख व विश्व प्रसिद्ध अखंड ज्योति पत्रिका के संपादक हैं.
आदर्श कुमार यूपीएससी एवं अनुराग कुमार एसएससी की तैयारी दिल्ली में रहकर कर रहे है. बताया जाता है कि दोनों भाई विगत 2 वर्षों से दिल्ली के स्लम बस्ती के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा और विगत 46 सप्ताह से वृक्षारोपण जैसे कार्यो में महती भूमिका निभा रहे है. दोनों भाई की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक सरकारी स्कूलों से हुई है. प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों बेगूसराय के सरयू प्रसाद सिंह उच्च विद्यालय विनोदपुर से दसवीं तक की पढ़ाई पूरी किया. मैट्रिक की परीक्षा में आदर्श कुमार ने 434 अंक प्राप्त कर बेगूसराय जिले में चौथा स्थान प्राप्त किया था. जिसके उपरांत 12वीं भागलपुर से एवं स्नातक पटना से पूरी करने के उपरांत वे यूपीएससी की तैयारी के लिये दिल्ली चले गये. वहीं इग्नू से वे पीजी भी कर रहे हैं. साथ ही वहीं उनके भाई अनुराग भी वर्तमान में एसएससी की तैयारी में जुटे है.
आदर्श को स्लम बस्तियों के बच्चे को नि:शुल्क शिक्षा देने की प्रेरणा मिलने की कहानी भी दिलचस्प है. जब वे पटना आया-जाया करते थे तो पटना जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर वन पर चल रहे बाल संस्कार शाला को देखकर उनके मन में इन संस्था के बारे में जानने की लालसा प्रकट हुई और फिर वे गायत्री परिवार की युवा इकाई प्रज्ञा युवा प्रकोष्ठ पटना से जुड़कर 3 वर्षों तक बाल संस्कार शाला बहादुरपुर के संचालक के रूप में अपना नियमित समय देने लगे. इनके मार्गदर्शन में स्लम बस्तियों के बच्चों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. जिसमें पटना की रूपम कुमारी का 88 प्रतिशत अंकों के साथ जिला में दसवां स्थान प्राप्त करने जैसी उपलब्धि भी शामिल था. साथ ही कई अन्य उपलब्धियां भी थी, जिस पर बाल संस्कार शाला नाज कर सकता है.
इस बीच आदर्श पटना से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके थे और आगे की पढाई के सिलसिले में उन्हें दिल्ली जाना पड़ा. लेकिन वहां भी वे स्लम बस्तियों में शिक्षा की अलख जगाते रहे. दिल्ली में दोनों भाई एपीजे अब्दुल कलाम बाल संस्कार शाला में विगत 2 वर्षों से तिमारपुर के बच्चों के बीच शिक्षा दान कर रहे हैं. साथ ही वे सहयोगी के साथ मिलकर पूरे दिल्ली में कुल 9 बाल संस्कार शाला का संचालन करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.