लाइव खगड़िया : जिले के सदर प्रखंड के सन्हौली पंचायत में स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर आज आस्था व विश्वास का एक अटूट केन्द्र बन चुका है. बताया जाता है कि यहां मां के कई रूपों की झलक दिखती है. साथ ही सिद्धपीठ के रूप में चर्चित इस मंदिर की पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती के रूप में आकृति प्रकट होने की घटना को विस्मयकारी माना जाता है. शायद यही कारण रहा है कि दिन प्रतिदिन इस मंदिर की महिमा में निरंतर वृद्धि होती रही है.
125 वर्ष पुरानी है मंदिर की मूर्ति
बताया जाता है कि सन्हौली दुर्गा मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा बरौनी-कटिहार रेल खंड के निर्माणकाल में कोशी व बूढी गंडक से मिलती धारा को पाटने के क्रम में मिली थी. कहा जाता है कि यह मूर्ति लगभग 125 वर्ष पुरानी है. बताया जाता है कि उन दिनों जमींदार महेन्द्र नारायण सिंह व हरि प्रसाद सिंह के कुल पुरोहित पंडित गोपीनाथ ठाकुर हुआ करते थे. पंडित ठाकुर ने ही यजमान महेन्द्र नारायण सिंह के सहयोग से जिला मुख्यालय को जोड़ती हाजीपुर मौजा एवं सन्हौली मौजा की सीमा पर भगवती की प्रतिमा को प्राण-प्रतिष्ठा के साथ स्थापित किया था. शुरूआत के ईट-खपरैल के गहबर को कालांतर में सुर्खी-चूना से जोड़ कर मंदिर का निर्माण किया गया था.
पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती का रूप उभरना धार्मिक शोध का विषय
मंदिर समिति केे सदस्यों के अनुसार यहां मां के कई रूपों की झलक दिखती है. सिद्धपीठ के रूप में चर्चित इस मंदिर की पौराणिक प्रतिमा में सरस्वती के रूप में आकृति प्रकट होने की घटना विस्मयकारी बताया जाता है. साथ ही देवी की पुरानी प्रतिमा में सरस्वती रूप का उभरना एक धार्मिक शोध का विषय सा बन गया है.