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चुनावी चकल्लस : सच्चे सेवकों की तैयारियां चरम पर,आना-जाना शुरू

खगड़िया : लोकतंत्र के महापर्व का आयोजन हलांकि अगले साल होना है.लेकिन इसकी आहट अभी से ही सुनाई देने लगी है.गांव व सुदूर इलाके की पगडंडियों पर लक्जरी गाड़ियों की उड़ती धूल मौसम को आंशिक रूप से चुनावी बनाता हुआ प्रतित होने लगा है.इस बीच क्षेत्र से लेकर सोशल साइट तक कई प्रकार की चर्चाएं व्याप्त है.इन चर्चाओं पर यदि गौर करें तो कल तक बड़े हादसे के वक्त भी दिखाई नहीं देने वाले समाज सेवक आज हल्की बुखार पर भी दौड़े चले आ रहे हैं.सरकार की विभिन्न योजनाएं भी अंतिम साल में धरातल पर धकाधक उतर रही है.चर्चाएं हैं कि यह सभी योजनाएं कार्यकाल के प्रथम चार वर्षों तक इसलिए फाइलों में धूल फांक रही थी क्योंकि फैशन के इस युग में गुणवत्ता की गांरटी नहीं दी जा सकती थी.यदि ये योजनाएं पूर्व में ही गर धरातल पर उतर गई होती तो संभव था कि लोकतंत्र के महापर्व के मौके पर ढूंढते रह जाओगे के तर्ज पर यह दिखाई नहीं देती.उधर विभिन्न राजनीतिक दलों व उनके गठबंधन के अंदरखाने से जो खबर आ रही है वो यह है कि वहां एक अनार सौ बीमार वाली कहावत जैसे हालात है.चर्चाएं हैं कि कई समाज सेवकों के मन में लड्डू फूट रहे हैं.बूधनमा की खास रिपोर्ट पर यदि विश्वास करें तो आगामी त्योहार के अवसर पर ट्रेलर में सील रहे कपड़ों के बीच समाज सेवकों का चुनावी कुर्ता-पैजामा भी सीलने का सिलसिला जारी है.बताया जाता है इस नये लिबास को लोकतंत्र के महापर्व के पूर्व ही समाज सेवक इस हाल में ले आना चाहते हैं कि कोई उन्हें नया-नया नहीं समझ सके.बहरहाल हर तरफ सच्चे सेवक के तौर पर खुद को पेश किये जाने की तैयारियां चरम पर है.इस दौरान अन्य जिलों के सेवकों का भी जिले में आने-जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है.समाज सेवकों की बढती भीड़ को देखकर चटखारे भी लिए जाने लगे हैंं कि शायद आने वाले दिनों में संसदीय क्षेत्र की हर समस्याएं ही छू-मंतर हो जाये.

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