लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : निराधार जिवित्पुत्रिका व्रत धारण करने वाली महिलाएं ने गुरुवार दोपहर के बाद अखण्ड डाला में नारियल, खीरा, बांस के पत्ते, जियल के पत्ते, पान, सुपारी, जनेऊ, फल एवं पकवान भर कर लाल कपड़े में बांध कर डाला भराई की परंपरा श्रद्धापूर्वक से संपन्न किया. साथ ही व्रतधारी महिलाओं ने जिवित्पुत्रिका व्रत की कथा का श्रवण किया.
शुक्रवार सुबह व्रत का पारण करने के पूर्व घर के संतान अखण्ड डाली पर रखे लाल रंग के कपड़े को हटाने के बाद व्रतधारी जिवित्पुत्रिका व्रत का पारण करेगी. पारण में व्रतधारी भात, नोनी की सब्जी, साग एवं मडुवा की रोटी ग्रहण करने की परंपरा है.
पंडित कि माने तो महाअष्टमी व्रत भक्तजनों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं तथा घर में सुख व समृद्धि लाती है. जिउतिया की महाअष्टमी व्रत संतान की लम्बी आयु, बाधाओं से मुक्ति का प्रतीक है. व्रत के दौरान महिलाएं श्रद्धा व भक्ति के साथ निराधार उपवास रखतीं हैं. बुजुर्ग महिलाओं कि मानें तो महाव्रत के दौरान ईश्वर से संतान की दीर्घायु के साथ पूर्वजों को भी याद करने की परंपरा है.