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फैसले की घड़ी : परिणाम के बाद उठ सकता है राजनीतिक तूफान




लाइव खगड़िया : लोकसभा चुनाव का गुरुवार को परिणाम सामने आने वाला है और इसके साथ ही प्रत्याशियों सहित उनके समर्थकों व आमजनों की बेकरारी बढने लगी है. इस कड़ी में कल खगड़िया संसदीय सीट की भी एक लंबे इंतजार के बाद रिजल्ट आना है. इस बीच करीब एक माह तक जिले में राजनीतिक हलचल लगभग शांत रही थी. लेकिन परिणाम के बाद जिले में राजनीतिक तूफान आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है. ऐसे में अब यह देखना दीगर होगा कि इस तूफान का असर किस गठबंधन को झेलना पड़ता है. दरअसल इसकी पटकथा दोनों ही प्रमुख गठबंधन ने अपने-अपने प्रत्याशी के चयन के साथ ही लिख दी थी. उल्लेखनीय है कि खगड़िया संसदीय सीट पर एनडीए से लोजपा के प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर एवं महागठबंधन से वीआईपी के उम्मीदवार मुकेश सहनी सहित कुल 20 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कल होना है और मुख्य मुकाबला महागठबंधन व एनडीए प्रत्याशी के बीच रहने की चर्चाएं है.




राजनीतिक गलियारें में चल रही चर्चाओं पर गौर करें तो कथित मोदी लहर में यदि लोजपा प्रत्याशी महबूब अली कैसर एक बार फिर फतह हाशिल करने में कामयाब हो जाते हैं तो महागठबंधन के एक प्रमुख घटक दल राजद के स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी के थिंक टैंक के प्रति आक्रोश के स्वर मुखर हो सकते है. गौरतलब है कि यादव बहुल खगड़िया संसदीय सीट अबतक राजद की परंपरागत सीट मानी जाती रही थी और पार्टी के पास उस वक्त तक कृष्णा कुमारी यादव के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार भी उपलब्ध था. साथ ही उनकी चुनाव के मद्देनजर वर्षों से क्षेत्र में सक्रियता भी रही थी. हलांकि इसके बाद उन्हें सीपीआई की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरने की महज चर्चाओं पर ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था. बावजूद इसके 2014 में राजद की प्रत्याशी रही कृष्णा कुमारी यादव ने ना सिर्फ खुद को इस बार चुनावी मैदान से अलग रखा बल्कि खुलकर ना तो किसी उम्मीदवार का समर्थन और ना ही विरोध में सामने आई. यदि महागठबंधन समर्थित वीआईपी के उम्मीदवार मुकेश सहनी को इस चुनाव में शिकस्त खानी पड़ती है तो माना जा सकता है कि यह कृष्णा कुमारी यादव व उनके समर्थकों का राजद के शीर्ष नेतृत्व के प्रति एक संदेश होगा. साथ ही पूर्व विधायक रणवीर यादव व उनकी पत्नी कृष्णा कुमारी यादव के समर्थकों का स्वर पार्टी के फैसले के खिलाफ और मुखर होकर सामने आ सकते हैं. जो स्थानीय राजनीति में तेज हलचल पैदा कर सकती है.




दूसरी तरफ यदि एनडीए समर्थित लोजपा उम्मीदवार चौधरी महबूब अली कैसर इस चुनाव में इतिहास बनाने में असफल होते हैं तो स्थानीय भाजपा व जदयू कार्यकर्ताओं के बीच लोजपा के टिकट वितरण प्रणाली पर आक्रोश पनप सकता था. उल्लेखनीय है कि निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर की उम्मीदवारी को लेकर लोजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच ऊहापोह की स्थिति रही थी और अंतिम वक्त में उनकी उम्मीदवारी का ऐलान किया गया था. इसके पूर्व विभिन्न तरह के राजनीतिक चर्चाओं का दौर रहा था और कई अन्य संभावनाओं पर भी अटकलों का बाजार गर्म रहा है. बहरहाल दोनों ही प्रमुख गठबंधन के विभिन्न पहलूओं को देखते हुए इतना तो माना ही जा सकता है कि चुनाव में जीत या हार चाहे जिस भी गठबंधन का हो लेकिन परिणाम के बाद जिले की राजनीति में तूफान आना लगभग तय है.


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