महाशिवरात्री कल, बहुत दिनों के बाद बना है यह दुर्लभ संयोग
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्रा) : इस वर्ष महाशिवरात्री का पर्व कल यानी सोमवार को मनाया जायेगा. बहुत दिनो के बाद यह दुर्लभ संयोग बना है. सोमवार का दिन भगवान शिव क लिए प्रिय माना जाता है.जिससे श्रद्धालुओं के बीच काफी उत्साह है.महाशिवरात्री के मद्देनजर जिले के विभिन्न शिव मंदिर सजधज कर तैयार है और सोमवार की सुबह से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पडेगी. व्रत को लेकर रविवार को बाजारों में काफी भीड़ रही.दूसरी तरफ विभिन्न शिव मंदिरों में रोशनी की उत्तम व्यवस्था की गई है.कुछ मंदिर में शिव विवाह का आयोजन रात्रि में किया जाता है.महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर श्रद्धालुओं जल अर्पित कर सुख,शांति एवं समृद्धि की कामना करते हैं.जिले के संसारपुर निवासी पंडित अजय कांत ठाकुर बताते हैं कि महाशिवरात्रि व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और श्रद्धालुओं को महाशिवरात्रि के दिन व्रत धारण करना चाहिए.
शिवरात्रि व्रत की विधि
गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिव जी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए.इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए.महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर “ऊं नमो नम: शिवाय” मंत्र से पूजा करनी चाहिए.इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करने से अतिउत्तम फल की प्राप्ति होती है और अगले दिन प्रात: काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए.हर साल फाल्गुन मास की चतुदर्शी को मनाए जाने वाले महाशिवरात्री के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है.कहा जाता है कि इस दिन भागवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था.भगवान शिव को यूं तो दयालु भोलेनाथ कहा जाता है.इसके बावजूद इनकी पूजा में निम्न पांच चीजों का विशेष महत्व है.
बेल पत्र
बेल पत्र का महादेव की पूजा में बहुत महत्व है. बेल पत्र चढ़ाने से भोले नाथ प्रसन्न होते है. तीन जन्मों के पापों के संहार के लिए भगवान शिव को तीन पत्तियों युक्त बिल्व पत्र अर्पित करने से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
भांग
भगवान शिव ने विष का पान किया है. इस विष के उपचार के लिए कई तरह की जड़ी बूटियों का प्रयोग देवताओं ने किया.इनमें भांग भी एक है. इसलिए भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है.
धतूरा
भांग की तरह धतूरा भी एक जड़ी बूटी है.भगवान शिव के सिर पर चढ़े विष के प्रभाव को दूर करने के लिए धतूरा का प्रयोग भी किया गया था.इसलिए शिव जी को धतूरा भी प्रिय है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को धतूरा अर्पित करने से शत्रुओं का भय दूर होता है.
गंगाजल
गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली और भगवान शिव की जटा से धरती पर उतरी है.इसलिए सभी नदियों में गंगा को परम पवित्र माना जाता है.गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है.
गन्ने का रस
गन्ने को जीवन में मिठास और सुख का प्रतीक माना जाता है.गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों से इसे बहुत ही पवित्र माना गया है.