महागठबंधन के जीत-हार की राह कृष्णा के गलियारे से…
लाइव खगड़िया : कहना शायद अनुचित नहीं होगा कि चुनाव में जीत का गणित ही हर राजनीतिक दल के लिए मूल मंत्र बन जाता है.लोकसभा चुनाव का वक्त जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे विभिन्न पार्टी व गठबंधन के संभावी उम्मीदवार के नामों पर चर्चाएं भी तेज होती जा रही है.ऐसे ही कुछ नामों में एक नाम विगत लोकसभा चुनाव में राजद की प्रत्याशी रही कृष्णा कुमारी यादव का भी आता है.उस चुनाव में वो राजद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थी.हालांकि 2014 की मोदी लहर में उन्हें सफलता नहीं मिल सकी,लेकिन वो जदयू के सिटिंग सीट पर तत्कालीन सांसद सह जदयू प्रत्याशी दिनेशचंद्र यादव को पीछे छोड़ते हुए एनडीए समर्थित लोजपा उमीदवार चौधरी महबूब अली कैसर को कड़ी टक्कर देकर राजनितिक महकमे में एक स्पष्ट संदेश छोड़ने में कामयाब रहीं थीं.
उक्त चुनाव में फतह हासिल करने वाले लोजपा उम्मीदवार महबूब अली कैसर को 3 लाख 13 हजार से अधिक मत मिले थे.जबकि राजद उम्मीदवार कृष्णा कुमारी यादव 2 लाख 37 हजार से अधिक मत प्राप्त करने में सफल रही थी.जबकि जदयू अपने सिटिंग सीट पर तीसरे स्थान पर खिसक गया था.राजनीतिक विश्लेषकों कि यदि मानें तो उस चुनाव में कृष्णा को प्राप्त मतों में राजद का आधार मत ‘माय’ समीकरण के साथ-साथ रणवीर फैमली के समर्थकों का मत भी शामिल था.इस बात पर बल 2014 के पूर्व के संसदीय चुनाव में तत्कालीन राजद प्रत्याशी द्वारा प्राप्त मत को इंगित कर भी दिया जा रहा है.हलांकि मुस्लिम समुदाय के वोट बैंक में उसी समुदाय के लोजपा प्रत्याशी के द्वारा सेंधमारी की भी चर्चाएं रही है.बताया जाता है कि एक से अधिक यादव उम्मीदवार व मुस्लिम समुदाय के वोट बैंक में सेंधमारी सहित उस वक्त की कुछ अफवाहें राजद उम्मीदवार के जीत की राह में रोड़े बनकर उभर आई.
गौरतलब है कि कृष्णा कुमारी यादव चर्चित पूर्व विधायक रणवीर यादव की पत्नी है.हालांकि विगत के चार सालों में इस संसदीय सीट के राजनितिक हालात भी बहुत कुछ बदल चुके हैं.वर्तमान सांसद के कार्यशैली को देखते हुए स्थानीय उम्मीदवार के चयन पर भी चर्चाएं होने लगी है.दूसरी तरफ जिले से ही नाता रखने वाली स्थानीय राजद नेत्री कृष्णा कुमारी यादव 2014 का चुनाव हारने के बावजूद क्षेत्र में सक्रिय दिखती रही हैं.इस क्रम में वो जिले के चारों विधानसभा सहित खगड़िया संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले समस्तीपुर जिले के हसनपुर व सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर के क्षेत्रों में भी विभिन्न मौके पर लगातार शिरकत करती रही है.जो किसी भी स्थिति में उनके 2019 के चुनाव मैदान में उतरने की ओर इशारा कर रहा है.2014 के नतीजों पर यदि नजर डालें तो उस चुनाव में कृष्णा कुमारी यादव ने छः विधानसभा वाले खगड़िया संसदीय सीट में से हसनपुर व परबत्ता विधानसभा क्षेत्रों में जीते प्रत्याशी लोजपा सहित जदयू उम्मीदवार को प्राप्त मतों के आधार पर पीछे छोड़ दिया था.साथ ही लोजपा व जदयू उम्मीदवार के अपने विधानसभा क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर में भी दोनों स्थानीय उम्मीदवारों को वो कड़ी टक्कर देने में सफल रही थी.हालांकि पिछले दिनों कुछ मीडिया में एक खबर यह भी आई थी कि लोजपा सांसद महबूब अली कैसर आगामी चुनाव खगड़िया से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लड़ेंगे.मामले का दिलचस्प पहलू यह भी रहा था कि जिस दिन यह खबर चली उस दिन भी वर्तमान लोजपा सांसद महबूब अली कैसर लोजपा-भाजपा सहित स्थानीय एनडीए के नेताओं के साथ क्षेत्र के दौरे पर थे.हालांकि बाद में लोजपा सांसद के निजी सचिव ने इस खबर को भ्रामक करार देते हुए महबूब अली कैसर का लोजपा व एनडीए के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई है.साथ ही महागठबंधन में खगड़िया की सीट कांग्रेस के कोटे में जाने की चर्चाओं पर भी विराम लग गया है.वैसे भी जातिगत आधार पर खगड़िया संसदीय सीट की गिनती राजद के परंपरागत सीटों में से एक की रही है.कांग्रेस के नवमनोनीत प्रदेश अध्यक्ष के ससुराल वाली संसदीय क्षेत्र खगड़िया महागठबंधन के लिए भी अब एक प्रतिष्ठित सीट बन चुका है.ऐसे में माना जा रहा है कि सीट शेयरिंग से लेकर उम्मीदवार के चयन तक में महागठबंधन यहां कोई रिस्क उठाने से बचेगी.दूसरी तरफ राजद नेत्री कृष्णा कुमारी यादव चुनावी राजनीत के लिए वर्षों से क्षेत्र में पसीने बहाते हुए उस मोड़ पर जा पहुंची हैं जहां से उन्हें वैरंग वापस लौटना भी मुश्किल दिखाई देता है.यदि किसी भी सूरत में महागठबंधन से उनकी उम्मीदवारी पर ग्रहण लगा तो भी उनके चुनावी मैदान में आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है.यदि ऐसी कोई तस्वीर उभरी तो इसका नुकसान महागठबंधन को ही उठाना पड़ सकता है.ऐसे में खगड़िया में महागठबंधन के जीत व हार की राह कृष्णा के गलियारे से ही निकलने की संभावनाओं से एकदम इंकार भी नहीं किया जा सकता है.