इस दुर्गा मंदिर में आने वाले श्रद्धालु निराश होकर नहीं लौटते,पूरी होती मन्नत
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के कवेला पंचायत अंतर्गत डुमड़िया खुर्द गांव स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर की मन्नतों के पूरा होने का पौराणिक इतिहास रहा है.गंगा किनारे अवस्थित इस मंदिर के बारे में मान्यता रही है कि यहाँ फुलाईस के द्वारा भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.यहाँ हर वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर खुले मैदान में रामलीला का भी आयोजन होता रहा है.स्थानीय ग्रामीण रविन्द्र झा कि मानें तो पहले यहाँ पूजा के दौरान बलि देने की भी प्रथा का प्रचलन था. जिसे साठ वर्ष पहले स्थायी रुप से बंद कर दिया गया.
जबकि मंदिर के पुजारी ने वासुकी मिश्र बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना 1902 में हुआ था तथा पहले यह मंदिर वर्तमान स्थल से दो किलोमीटर पश्चिम में स्थित था.लेकिन गंगा के कटाव के कारण मंदिर गंगा में समा गया.जिसके बाद नरसिंह लाला नामक व्यक्ति ने यहाँ अस्थायी मंदिर बनाकर मां की पूजा-अर्चना शुरु कर दिया.कालांतर में यह परिवार विस्थापित होकर भागलपुर तथा मुंगेर में बस गया.ऐसे में ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से माँ दुर्गा को एक फूस के घर में स्थापित कर पूजा शुरु कर दी.बताया जाता है कि पंडित वासुकी मिश्र वर्ष 1976 से इस मंदिर में माँ की पूजा करते आ रहे हैं,प्रचलित है कि यहाँ आने वाले भक्त कभी निराश होकर नहीं लौटते हैं. डुमड़िया खुर्द गांव सांस्कृतिक गतिविधियों का भी केन्द्र रहा है.यहाँ मेला के अवसर पर नाटक, जागरण आदि का आयोजन होता रहा है.इस मंदिर में दुर्गा पूजा के अवसर पर दूर-दूर से लोग अपनी आस्था व्यक्त करने तथा मन्नतें पूरी होने के बाद भगवती का आभार प्रकट करने आते हैं.इस दौरान लोग कीमती चढावा चढाकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं.बहरहाल ग्रामीणों के सहयोग से अब यहाँ एक भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है.जो की दर्शनीय भी हो गया है.