10 अक्टूबर को शरदीय नवरात्र का कलश स्थापन,जानिये कलश का महत्व
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : नौ तिथि,नौ शक्तियां की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाए जा रहे माता रानी का पर्व शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 10 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहा है.पूजा को लेकर मंदिर के साथ-साथ घर में भी तैयारियां अंतिम चरण में है.जिले के खजरैठा के पंडित प्राण मोहन कुंवर व अजय कांत ठाकुर के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त की अवधि 01 घंटा 02 मिनट पर है.ऐसे में 10 अक्टूबर (बुधवार) को अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:36 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक कलश स्थापना उत्तम होगा.जबकि प्रतिपदा तिथि का आरंभ: 9 अक्टूबर (मंगलवार) को सुबह 09:16 बजे से है औऱ प्रतिपदा तिथि की समाप्ति 10 अक्टूबर (बुधवार) को सुबह 07:25 बजे होगा.10 अक्टूबर को मंदिर के अलावा घरों में भी कलश स्थापना के साथ मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जायेगी.वैसे प्रतिपदा अवधि में कलश स्थापना को सर्वोत्तम माना जाता है.
पंडितों कि मानें तो नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है.जिससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख,शांति तथा समृद्धि बनी रहती है.
कलश का महत्व :
कलश एक विशेष आकार का बर्तन होता है.जिसका धड़ चौड़ा व थोड़ा गोल और मुंह थोड़ा तंग होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में महेश तथा मूल में ब्रह्मा स्थित है. कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं. इसलिए पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है.शास्त्रों में बिना जल के कलश को स्थापित करना अशुभ माना गया है. इसी कारण कलश में पानी, पान के पत्ते, आम्रपत्र, केसर, अक्षत, कुंमकुंम, दुर्वा-कुश, सुपारी, पुष्प, सूत, नारियल, अनाज आदि का उपयोग कर पूजा के लिए रखा जाता है. इससे न केवल घर में सुख-समृद्धि आती है बल्कि सकारात्मकता उर्जा भी प्राप्त होती है.
कलश में जल का महत्व:
पवित्रता का प्रतीक कलश में जल, अनाज, इत्यादि रखा जाता है. पवित्र जल इस बात का प्रतीक है कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा ही स्वच्छ, निर्मल और शीतल बना रहे. हमारा मन श्रद्धा, तरलता, संवेदना एवं सरलता से भरा रहे. इसमें क्रोध, लोभ, मोह-माया, ईष्या और घृणा आदि की कोई जगह नहीं होती.
स्वस्तिक चिह्न का महत्व :
कलश पर लगाया जाने वाला स्वस्तिक चिह्न मनुष्य की 4 अवस्थाओं बाल्य, युवा, प्रौढ़ और वृद्धावस्था का प्रतीक है.
नारियल का महत्व :
समान्य तौर पर देखा जाता है कि कलश स्थापना के वक्त कलश के उपर नारियल रखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इससे हमें पूर्णफल की प्राप्ति होती है. कलश के ऊपर धरे नारियल को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है.ध्यान रहे कि नारियल की स्थापना सदैव इस प्रकार करनी चाहिए कि उसका मुख साधक की तरफ रहे. नारियल का मुख उस सिरे पर होता है, जिस तरफ से वह पेड़ की टहनी से जुड़ा होता हैं.