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जब डॉ संजीव ने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लेने का कर लिया था फैसला

लाइव खगड़िया : क्षेत्र चाहे जो भी रहा हो, किसी की कामयाबी को जितनी आसानी से लिया जाता है, दरअसल वह उतना आसान नहीं होता है. बल्कि हर सफलता के पीछे छोटी-बड़ी असफलताएं भी छुपी होती है और उनके पीछे संघर्ष व मेहनत की एक लंबी दास्तां होता है. राजनीतिक जगत में जिले के परबत्ता के विधायक डॉ संजीव कुमार इन दिनों चर्चाओं में हैं और बीते विधानसभा चुनाव में उनकी जीत के पीछे भी कुछ ऐसी ही कहानी है. कभी उनके राजनीतिक जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया था, जब उन्होंने चुनाव में एक और हार मिलने की स्थिति में खुद को चुनावी राजनीति से अलग कर लेने का फैसला तक कर लिया था. लेकिन उनके इरादे बुलंद थे, खुद पर भरोसा था और आखिरकार उन्होंने सफलता की मंजिल को चूंम ही लिया.

कहानी 7 वर्ष पुरानी है. 2015 में वे विधान परिषद के स्थानीय बेगूसराय-खगड़िया निकाय चुनाव में डॉ संजीव कुमार महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर भाजपा के रजनीश कुमार से महज 66 वोट से हार गए थे. हलांकि चुनावी राजनीति में यह उनका पहला प्रयास था. लेकिन वह हार उन्हें झकझोर गया था और उन्होंने इस हार को एक चुनौती के तौर पर लिया. एक नयी ऊर्जा के साथ वे मेहनत करते रहे और जनसेवा के कार्यों में लगे रहे. इस बात का खुलासा विधायक डॉ संजीव कुमार ने गुरूवार को सोशल साइट पर एक पोस्ट के माध्यम से किया है. उन्होंने उस वक्त के अपनी हार से संबंधित कुछ अखबारों की खबरों को शेयर करते हुए कहा है कि चुनाव में मिली असफलता के बाद हर वर्ष वे इस खबर को पढ़ते रहे और वो हार उन्हें सीख देती रही. वहीं उन्होंने कहा है कि अपनी हार का उन्हें बहुत दुःख जरूर था, लेकिन वे टूटे नहीं थे और प्रण कर लिया था कि अगली बार चुनाव में वे जीत कर ही दम लेंगे. यदि ऐसा नहीं हुआ तो चुनावी राजनीति से ही वे खुद को अलग कर लेंगे. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में परबत्ता विधानसभा की सीट से उन्हें जनता का असीम प्यार मिला और वे जीत की मंजिल तक पहुंचने में कामयाब रहे.

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