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“आइये…रूक जाइये…और अब आइये”, प्रशासनिक रवैये से मीडियाकर्मियों में नाराजगी

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार मनीष) : वैसे तो पाठकों के बीच साख व विश्वसनीयता ही पत्रकार के लिए सबसे बड़ा सम्मान होता है. बावजूद इसके हर छोटा-बड़ा सम्मान गर्व की बात तो होती ही है. लेकिन जब ‘सम्मान’ के नाम पर किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश हो तो नाराजगी भी लाजिमी है. चंद दिनों में जिले के मीडियाकर्मियों को कुछ ऐसे ही हालात से गुजरना पड़ा हैं और जिला प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है.

दरअसल पंचायत चुनाव के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय भूमिका निभाने वाले लोगों के सम्मान के लिए बीते दिनों जिला प्रशासन की तरफ से एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया था. जिसमें पदाधिकारियों सहित अन्य क्षेत्रों के चयनित लोगों को जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने प्रशंसा पत्र भेंट कर सम्मानित किया था. हलांकि इस समारोह में पहले जिले के चयनित मीडियाकर्मियों को भी सम्मान के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन ऐन वक्त पर जिला प्रशासन ने मीडियाकर्मियों के सम्मान कार्यक्रम को स्थगित कर दिया. जिसके साथ ही जिले के मीडियाकर्मियों के बीच आक्रोश की चिंगारी भड़क उठी. इस बीच शनिवार को जिला प्रशासन के द्वारा निर्धारित समय से चंद घंटे पूर्व सूचना प्रेषित कर मीडियाकर्मियों को प्रशंसा पत्र के लिए समाहरणालय पहुंचने को कहा गया. लेकिन अधिकांश मीडियाकर्मी जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सम्मान पत्र लेने नहीं पहुंचे. उधर जिला प्रशासन ‘प्रशंसा पत्र’ लेकर मीडियाकर्मियों का इंतजार करती ही रह गई.





मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने सम्मान के लिए जिले के कुल 13 पत्रकारों का चयन किया था. जिसमें से बड़े मीडिया घराने के सात पत्रकारों ने भावनाओं को आहत कर मिलने वाले सम्मान से तौबा कर लिया. जिसमें प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बड़े घराने से नाता रखने वाले जिले के कई चर्चित चेहरे शामिल हैं. पत्रकारों का आक्रोश जिला प्रशासन के चयन प्रणाली व मापदंड पर भी था और रही सही कसर “आइये…ऱूक जाइये…और अब जल्दी आइये…” जैसे प्रशासनिक क्रियाकलाप ने पूरी कर दी. ऐसा भी नहीं है कि जिला प्रशासन की चयन प्रणाली पहली बार सवालों के घेरे में रहा है. विगत विधानसभा चुनाव के दौरान समाचार संकलन के लिए प्राधिकार पत्र निर्गत करने के दौरान भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था. उस वक्त भी जिला प्रशासन का चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में रहा था और सोशल साइट पर सदैव एक्टिव रहने व क्षण भर में प्रतिक्रिया देने वाले जिलाधिकारी इस मामले में मौन दिखे थे.

इधर प्रशासनिक रवैये से क्षुब्ध जिले की मीडियाकर्मियों ने शनिवार को जिला मुख्यालय में एक बैठक का आयोजन किया. वहीं पत्रकारों ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए प्रशासनिक उपेक्षा पर आक्रोश व्यक्त किया. साथ ही जिला प्रशासन के द्वारा चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाते हुए कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया. खबर है कि मीडियाकर्मियों के बीच मामले को लेकर आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श चल रहा है. उधर प्रखंड के मीडियाकर्मियों ने भी सम्मान में प्रखंड स्तरीय पत्रकारों की उपेक्षा किये जाने की बात कही है. बहरहाल प्रशासनिक सम्मान ने जिले में एक बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है. यह भी एक सच्चाई है कि किसी भी बड़े मिशन की सफलता एक सामूहिक प्रयास का नतीजा होता है और किसी भी ‘सम्मान’ का ‘सम्मान के साथ भेंट किये जाने पर ही उस सम्मान की गरिमा को कायम रखा जा सकता है.




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