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किसान संघ के विरोध के बाद भू सर्वे टीम को लौटना पड़ा वापस



लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखण्ड के लगार पंचायत अंतर्गत हरिणमार गांव में मंगलवार को भूमि सर्वे हेतु पदाधिकारियों द्वारा शिविर लगाई गई. जिसकी सूचना परबत्ता के नवोदित किसान संघ के किसानों को मिली तो बड़ी संख्या में किसान शिविर स्थल पर पहुंच कर टोपो लेंड, गैरमजरूआ खास, परती कदीम आदि भूमि के मुद्दे को लेकर सवाल उठाया. साथ ही बिहार सरकार के भूमि सर्वे कार्यों से जुड़ी नीतिओं का जम कर विरोध किया. जिसके बाद सर्वे पदाधिकारियों को वापस लौट जाना पड़ा. 

वहीं नवोदित किसान संघ के नेताओं ने बताया कि परबत्ता में विगत दो वर्षों से टोपो लेंड, गैरमजरूआ खास, परती कदीम, हिन्द ए केसरी, बकस्त और गंग बरार जैसी श्रेणी के जमीन पर बिहार सरकार की गलत नीतिओं के कारण किसानों की रैयती पर गहराए संकट को लेकर लगातार संगठन आंदोलनरत है. किसानों के अनुसार ये सारी जमीनें जमींदारों द्वारा किसानों को बंदोबस्त की गयी थी. जमींदारी प्रथा के समाप्त होने के बाद बिहार सरकार ने किसानों को इन जमीनों के लिए जमाबंदी भी निर्गत किया तथा पिछले 60 वर्षों से हर साल रसीद भी काटती रही है और किसान इन जमीनों के असल रैयतदार हैं. लेकिन वर्ष 2016 में जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी के मौखिक आदेश के बाद सन् 1900 के खतियान को आधार बना कर जिले के 54 हज़ार एकड़ जमीन के रसीद काटने पर रोक लगा दी गयी और अब सरकार जमीनों का सर्वे करा रही है. जिससे सरकार की मंशा दिख रही है और सरकार रैयती छीनने की मंशा से किसान बहुत आक्रोशित हैं. वहीं बताया गया कि यदि समय रहते बिहार सरकार अपनी गलत नीतियों में बदलाव नहीं लाती है तो आंदोलन को और तेज़ किया जायेगा.  संघ के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद रमण के अनुसार बीते वर्ष भी सर्वे के नाम पर सरकार ने किसानों से भारी रकम की उगाही की थी. जो कि दुखद है. साथ ही उन्होंने सरकार से प्राथमिकता के साथ मुद्दे पर पुनर्विचार कर सही नीति के निर्धारण की मांग किया. 
मौके पर नवोदित किसान संघ के सचिव मदनमोहन सिंह, उपाध्यक्ष धीरेन्द्र मिश्र, उपाध्यक्ष अनिल चौधरी, संयुक्त सचिव जयप्रकाश यादव, संयुक्त सचिव अरविन्द यादव, संयुक्त सचिव जितेंद्र चौधरी, कोषाध्यक्ष शशिकांत चौधरी, नवोदित किसान संघ के कई अन्य सदस्य के साथ बड़ी संख्या में किसानों ने एकजुट होकर सर्वे शिविर का बहिष्कार किया.


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