लाइव खगड़िया (मनीष कुमार) : जिले की बेटी स्वराक्षी स्वरा को हिन्दी पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान योजना के तहत बिहार सरकार की ओर से अनुदान की स्वीकृति मिली है. राजभाषा विभाग के हिन्दी पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान योजना 2020-21 के अंतर्गत स्वाराक्षी स्वरा की रचना ‘तिमिरान्तिका’ का चयन किया गया है और पुस्तक प्रकाशन के लिए विभाग के द्वारा 25 हजार की अनुदान राशि दिये जाने स्वीकृति प्रदान कर दी गई है.
जिले के गोगरी जमालपुर निवासी अशोक झा और सरोज झा की पुत्री स्वराक्षी स्वरा को कई बड़े मंचों पर काव्य पाठ का अवसर मिल चुका है. साथ ही दूरदर्शन पर भी उनके काव्यपाठ का प्रसारण हो चुका है. उन्हें सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, हरिवंश राय बच्चन सम्मान, युवा लेखक सम्मान, साहित्य गौरव, शिक्षा गौरव सम्मान जैसे कई अन्य सम्मान भी मिल चुका है. स्वाराक्षी स्वरा पेशे से शिक्षक हैं और वर्तमान में वे जिले के बेलदौर के हनुमान नगर में पदस्थापित हैं .
स्वराक्षी स्वरा…एक परिचय
योग्यता – स्नातकोत्तर
विधा – गीत, ग़ज़ल, दोहे,vमुक्तक, नज्म, कहानी, संस्मरण आदि
रस – ओज, श्रृंगार
उपलब्धि – विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ का सुअवसर एवं समाचारपत्रों में रचनाओं का प्रकाशन. दूरदर्शन पर भी काव्यपाठ का प्रसारण
सम्मान – विभिन्न संस्थाओं के द्वारा विभिन्न सम्मान यथा सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान, हरिवंश राय बच्चन सम्मान, युवा लेखक सम्मान, साहित्य गौरव,शिक्षा गौरव सम्मान आदि
स्वराक्षी स्वरा की एक रचना पर भी डालें नजर
देखो यह है हिंदुस्तान
खतरे में है यंगिस्तान
क्षणिक-क्षणिक सी पीड़ाओं पर
दे देते हैं यह तो जान
देखो यह है हिंदुस्तान ।।
आज युवाओं के सर चढ़कर भूत लोभ का बोल रहा
आधुनिकता के चोले में है अंग-अंग को खोल रहा
रिश्तो के पानी में देखो स्वार्थ- जहर को घोल रहा
भरी जवानी में ही देखो हर लेते हैं अपने प्राण
देखो यह है हिंदुस्तान
डूबते जाते प्यार के मद में उम्र की सीमा तोड़कर
बात-बात पर झगड़ा करके चल देते घर छोड़ कर
ठुकरा देते बाप की खुशियां माता से मुंह मोड़कर
चंद्र पैसों की खातिर देखो बेच रहे हैं यह ईमान ।।
देखो यह है हिंदुस्तान
है संघर्ष की बात को भूले, बस वो जाने जीत व हार
जीतने वाला खुशियां मनाता,हारने वाला देता मार
कोई धर्म न कोई मज़हब,बस इनको है जिस्म से प्यार
जिनकी जितनी ऊंची कीमत,उनका उतना है सम्मान
देखो यह है हिंदुस्तान
किनके भरोसे हम सब सम्भले जब बूढों को शर्म नही
दिखते हैं सन्तो के जैसे,पर वो करते धर्म नहीं
*स्वरा* नाम है राम-रहिमन, पर उन जैसा कर्म नहीं
तभी तो उम्र के इस पड़ाव पर,मिलता है इनको अपमान
देखो ये है हिंन्दुस्तान
जागो देश के वीरों जागो,त्यागो तम के अँधियारे
फैलाओ फिर भारत-भू पर सुसंस्कृति के उजियारे
तुम चमन के फूल बनोगे,कल के दिन प्यारे प्यारे
आओ मिलकर कसमें खाओ,रखेंगे भारत का मान
देखो ये है हिंदुस्तान