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कोरोना के खिलाफ जंग में मां की भागीदारी देख बेटे की भावना भी जाग उठी




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) :  एक वो वक्त भी था जब बेटी विदा होकर ससुराल जाती थी तो मायके की तरफ से उन्हें सिलाई मशीन देने की जैसे एक परंपरा थी. ताकि बेटी आत्म निर्भर बन सके और फुर्सत के क्षण में उनका सिलाई-कटाई में मन लगा रहे. हलांकि वक्त के साथ महिलाओं की घर में सिलाई-कटाई में उतनी दिलचस्पी नहीं रही और सिलाई मशीन की जगह अन्य मशीनों ने ले ली. लेकिन कोरोना काल में घर से निकलती सिलाई मशीन की आवाज पूर्व के जमाने की याद को ताजा कर गया है. 

सिलाई मशीन को लेकर जिले के परबत्ता प्रखंड के भरसो पंचायत के थेभाय गांव की कंचन देवी की कहानी रोचक है. बताया जाता है कि कंचन देवी जब अपने मायके से विदा होकर ससुराल आ रही थी तो उन्हें मायके पक्ष की तरफ से उपहार में अन्य समानों के साथ एक सिलाई मशीन भी दिया गया था. उनके पति मेहनत व मजदूरी कर गृहस्थ जीवन की गाड़ी खींच रहे थे. लेकिन आर्थिक दृष्टिकोण से घर की हालत बहुत अच्छी नहीं थी. ऐसे में  कंचन देवी ने सिलाई मशीन से कपड़े सिलना शुरू कर दिया. समय के साथ परिवार में सदस्यों की संख्या भी बढ गई. मुश्किल हालात में बच्चों के पालन पोषण में सिलाई मशीन पर काम से हुई कमाई परिवार को बड़ा सहारा दे गया. बाद के दिनों में सिलाई-कटाई की कमाई से ही वे अपने संतानों को उच्च शिक्षा दिलवाने में सफल रहीं. आज उनके सभी पुत्र छोटे-छोटे उद्योग धंधे में लगे हुए हैं. 


बात वर्ष 2011 की है जब कंचन देवी के घर में चोरी हो गई और चोर उनकी प्यारी सिलाई मशीन को भी उठा ले गये. यह मशीन कंचन देवी के लिए ना सिर्फ एक सहारा था बल्कि इस मशीन के साथ उनके मायके की यादें भी जुड़ी हुई थी. मशीन का यूं चले जाना उनके लिए किसी सदमें से कम नहीं था. लेकिन भारी मन से वे दूसरे के यहां जाकर अन्य मशीन पर सिलाई-कटाई करती रही और वक्त का पहिया घूमता गया. इस बीच कोरोना संक्रमण काल में कंचन देवी मास्क तैयार करने मे जुट गई. कोरोना काल में कंचन देवी द्वारा अपनी जिम्मेरियों का निर्वहन करते देख उनके संतान के मन में मातृ एवं राष्ट्र प्रेम की भावना कुछ यूं जागा कि उन्होंने कंचन देवी को इलेक्ट्रिक सिलाई मशीन ही खरीद कर ला दी. आज  कंचन देवी अपनी नई सिलाई मशीन से प्रतिदिन एक सौ से अधिक मास्क तैयार कर रहीं हैं. साथ ही वो आस पड़ोस की महिलाओं को भी सिलाई कटाई कर आत्म निर्भर बनने को प्रेरित कर रही हैं. बहरहाल कोरोना काल में बच्चों द्वारा दी गई सिलाई मशीन का उपहार कंचन देवी के जीवन का एक यादगार पल बन गया है,  जो कोराना काल की खट्टी यादों के साथ एक सुखद एहसास भी उन्हें सदा देता रहेगा.

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