Breaking News

इस काली मंदिर के पूजन पद्धति का है विशेष महत्व

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के खजरैठा पंचायत के खजरैठा गांव स्थित सिद्ध शक्तिपीठ मां काली मंदिर की महिमा अगम अपार है. मान्यता है कि मां काली भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं. मां के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से भक्तगण पहुंचते हैं.

मंदिर के पूजन पद्धति का विशेष महत्व

खजरैठा काली मंदिर के पूजन पद्धति का विशेष महत्व है. मंदिर के मुख्य पंडित डॉक्टर प्राण मोहन कुंवर, आचार्य शंभु नाथ ठाकुर बताते हैं कि रविवार की देर रात्रि को मां काली की प्रतिमा को पिंडी पर विराजमान किया जायेगा. जिसके उपरांत आमलोगों के दर्शन के लिए मंदिर का पट खोल दिया जायेगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद निशा पूजन के साथ छागड़ की बलि दी जायेगी. बताया जाता है कि शास्त्रों के मुताबिक अमावस्या की कालरात्रि में मां काली की पूजन का उत्तम समय है. वहीं सोमवार व मंगलवार को विशेष पूजन किया जायेगा. जबकि बुधवार की सुबह मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जायेगा. मंदिर प्रांगण में कुमारी व ब्राह्मण भोजन की भी परंपरा रही है.




मंदिर का इतिहास

मां काली पूजा समिति,नया गांव खजरैठा के व्यवस्थापक बालकृष्ण चौधरी बताते हैं कि कई सौ वर्ष पूर्व मां काली की पूजा सर्वप्रथम गांव के ही हंसु ठठेरी ने प्रारंभ किया था. जो अब तक बरकरार है. यह मंदिर पहले लक्ष्मीपुर में था. जो गंगा के कटाव में विलीन हो गया. इसके उपरांत वर्ष 1957 में इस मंदिर की स्थापना नया टोला खजरैठा में किया गया.

मंदिर निर्माण में ग्रामीणों का रहा सहयोग

खजरैठा गांव में अवस्थित विशाल काली मंदिर के निर्माण में पूर्व जिला परिषद सदस्य पंकज कुमार राय का भरपूर सहयोग रहा है. ग्रामीण श्यामानंद चौधरी बताते हैं कि मंदिर निर्माण में ग्रामिणो ने  खुलकर सहयोग किया है. जो समाज में एकता, अखंडता एवं संकल्प का प्रतीक है. साथ ही मंदिर का भव्यता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. वही काली पूजा में.ग्रामीण विद्यापति चौधरी, मिथिलेश चौधरी, बिपिन चौधरी, बुगुल चौधरी, निरो चौधरी, अमर कुंवर, शंभु चौधरी, बिट्टू चौधरी, पुनम चौधरी, मुन्ना चौधरी आदि पूजन कार्य और मेला में व्यस्त दिखे.


Check Also

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई-बहन के प्रेम का पर्व ‘भैया दूज’

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई-बहन के प्रेम का पर्व 'भैया दूज'

error: Content is protected !!