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विजयादशमी को नीलकंठ का दर्शन माना जाता शुभ,ढूंढते फिरते हैं लोग




लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : “नीलकंठ तुम नीले रहियो, दुध भात का भोजन करियो, हमारी बात राम को कहियो”…इस लोकगीत के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना जाता हैं. श्री शिव शक्ति योगपीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज कहते हैं कि विजयादशमी के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना शुभता का प्रतीक है. शारदीय नवरात्रा में आदिशक्ति की उपासना के बाद इस पक्षी को दर्शन करने से भगवान शिव के रूप का प्रतीकात्मक दर्शन होता है. भगवान शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव के प्रतिनिधि के रुप में जाना जाता है. विजयादशमी के दिन इस पक्षी के दर्शन को शुभ के साथ भाग्य को जगाने वाला माना जाता है.

विजयादशमी के दिन सुबह से लोग आसपास खेतों व बाग-बगीचे में नीलकंठ की तलाश करते हैं. मान्यता है कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन से साल भर घर में शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है.




पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने नीलकंठ का दर्शन करके ही रावण का वध किया था. लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा तो भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की और शिव पूजा से ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया. मान्यता है कि इसके उपरांत भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धरती पर आये. नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का एक रूप माना जाता है.

किसानों का भाग्य विधाता

नीलकंठ पक्षी को किसानों का भाग्य विधाता भी कहा जाता है. यह पक्षी खेतों के कीड़े को खाकर किसानों की फसल को बर्बाद होने से बचाता है. हलांकि विजयादशमी के दिन बहुत कम लोग ही नीलकंठ पक्षी देख पाते हैं. कहा जाता है कि भाग्यशाली लोग ही इस दिन नीलकंठ पक्षी को देख पाते हैं. लेकिन लोगों के द्वारा नीलकंठ को देखने का प्रयास जरूर किया जाता है.


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