राष्ट्रपति अवार्ड प्राप्त रिटायर शिक्षक अब पर्यावरण क्षेत्र में दे रहे उत्कृष्ट योगदान
लाइव खगड़िया : पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु विश्व पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है. पर्यावरण और स्वच्छता के स्तर में गिरावट के पीछे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी एक अहम कारण रहा है. यही वजह रही है कि वर्ष दर वर्ष प्रदूषण के मामले में बढोतरी हो रही है और यह भी सच है कि महज एक दिन किसी खास मौके पर पौधारोपण कर आने वाले पीढ़ियों के लिए साफ-सुथरी वातावरण व हवा देने में मददगार नहीं बना जा सकता है. निश्चित रूप से यह सिलसिला लगातार कायम रखनी होगी.
कुछ इसी तर्ज पर अपनी जिम्मेदारी को जिले के चौथम प्रखंड के नौरंगा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. नवल कुमार बखूबी निभा रहे हैं. उन्होंने अबतक करीब 10 एकड़ भूमि में लगभग 10 हजार से अधिक वृक्ष लगाकर पर्यावरण संतुलन कायम रखने की दिशा में एक मिसाल पेश किया है. साथ ही उनका मानना है कि जिस तरह से आज पर्यावरण प्रदूषण में बढोतरी हो रही है, यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो आगे की पीढ़ियों को स्वच्छ हवा तक भी नसीब नहीं हो सकेगी. ऐसे में उन्होंने शिक्षक पद से रिटायर होने के बाद पर्यावरण संतुलन की दिशा में सार्थक प्रयास करने की ठानी और वर्ष 2015 से ही वृक्ष लगाना शुरू कर दिया. बीते चार वर्षों में उन्होंने 10 एकड़ जमीन में लगभग 10 हजार से अधिक वृक्ष लगाया और यह सिलसिला जारी है.
उल्लेखनीय है कि सेवानिवृत्त शिक्षक डॉ. नवल कुमार शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके है और अब पर्यावरण संतुलन की दिशा में वे अपना उत्कृष्ट योगदान देते हुए दिखाई दे रहे हैं.