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पूर्व प्रमुख के निधन से इलाके में शोक की लहर

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के परबत्ता प्रखंड के पूर्व प्रमुख सह डुमरिया बुजुर्ग निवासी 80 वर्षीय अखिलेश प्रसाद सिंह का पटना के आइजीआइएमएस में इलाज के दौरान निधन हो गया. जमींदार परिवार से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह सैकड़ों बीघा जमीन के जोतदार थे और खेती के प्रति उनका खास लगाव था. हालांकि सत्तर के दशक में उन्होंने विभिन्न तरह के व्यवसाय में भी अपना हाथ आजमाया और महेशखूंट तथा सुलतानगंज में पेट्रोल पंप का सफल संचालन किया. 1980 के दशक में उन्होंने अजगैबीनाथ ट्रेवल्स के नाम से एक ट्रेवल्स कंपनी की स्थापना किया तथा उनके वाहनों के बेड़ा में एक दर्जन से अधिक बस एवं आधा दर्जन ट्रकों का काफिला बन गया. साथ ही उन्होंने दशकों तक अगुवानी तथा सुलतानगंज के बीच चलने वाले जहाज फेरी सेवा का भी संचालन किया. इसी दौरान उनके खेतों को दबंगों एवं अपराधियों ने अवैध तरीके से जोतकर उनके जमींदारी को चुनौती दिया. तब अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपने मित्रों एवं संबंधियों के साथ लाईसेंसी हथियारों के साथ कई दिनों तक अपराधियों का मुकाबला किया और अपराधियों का सैंकड़ों भैंस और गायों को पीटकर अपने गांव लेकर आ गए और उन पशुओं को रखने को खिलाने की व्यवस्था किया. बाद में दोनों समाज के प्रबुद्ध लोगों के द्वारा दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाने पर उन पशुओं को वापस किया गया. साथ ही अपराधियों ने भी उनके खेतों पर से अपना अवैध कब्जा हटा लिया.

वर्ष 2001 में दो दशकों के बाद बिहार में हो रहे पंचायत चुनाव में उन्होंने पंचायत समिति पद के लिए नामांकन कराया और विजयी रहे. फिर प्रमुख के चुनाव में निर्विरोध निर्वाचित होकर वर्ष 2001 से 2006 तक इस पद पर बने रहे. अपने हक और अधिकार के लिए वे आजीवन तथा नियमित रुप से कोर्ट कचहरी में जाते रहे. उनकी रौबदार छवि के कारण आमतौर पर लोग उनसे मिलने तथा बात करने में संकोच महसूस करते थे. लेकिन वे एक नर्मदिल इंसान थे. दुर्घटना में अपने छोटे पुत्र की मृत्यु के बाद उन्होंने आमतौर पर सार्वजनिक जीवन से परहेज करना शुरु कर दिया था. लेकिन उनके दरबार में पहुंचने वाले गरीब लोगों को भी समान रुप से सम्मान मिलता था. वे अपनी न्यायप्रियता के लिये भी जाने जाते थे. गांव के छोटे-बड़े विवाद में पंचायती करवाने के लिये उनके दरवाजा पर फरियादियों की भीड़ लगी रहती थी. यह माना जाता था कि अगर उन्होंने पंचायती में उपलब्ध होना स्वीकार कर लिया है तो उस परिवाद में न्याय ही होगा. डुमरिया बुजुर्ग गांव में सुप्रसिद्ध एवं भव्य भगवती मंदिर के निर्माण में उनकी महती भूमिका रही थी. उन्होंने अपने घर के निकट भी एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया था. विगत एक वर्ष से अखिलेश प्रसाद सिंह उम्र जनित बीमारियों से ग्रसित होकर गांव में ही रहते थे. उनके पुत्र विपुल कुमार सिंह भागलपुर में रहकर उनके द्वारा स्थापित व्यवसाय को आगे बढा रहे हैं. उनके निधन की खबर मिलते ही इलाके में शोक की लहर दौड़ पड़ी. सोशल मीडिया पर उनके बारे में शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लग गया है. निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को गांव लाया गया. जहां उनके अंतिम दर्शन के बाद अगुवानी गंगा घाट पर अंतिम संस्कार संपन्न हुआ.

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