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खगड़िया में डीएमडी बीमारी से जूझ रहे हैं आधा दर्जन से अधिक बच्चे

लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : ‘ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ (डीएमडी) जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली एक दुर्लभ जेनेटिक (अनुवांशिक) बीमारी से जिले के आधा दर्जन से अधिक बच्चे ग्रसित है. मिली जानकारी के अनुसार जिले के मानसी प्रखंड के चकहुसैनी निवासी राजू कुमार के पुत्र माही राज, बलतारा निवासी रणधीर कुमार रंजन के पुत्र हेरव (शिवांश), परबत्ता नयागांव पंचखुट्टी के रंजीत साह के पुत्र प्रियांशू राज इस बीमारी से ग्रसित है. बताया जाता है कि इन पीड़ितों में माही राज बिस्तर पर है. जबकि प्रियांशु राज व्हीलचेयर पर अपनी जिंदगी काट रहे हैं. इधर मानसी के राजू कुमार ने अपने बच्चे के लिए सारी पूंजी (लगभग तीस लाख रुपए) खर्च कर चुके हैं. जबकि नयागांव पंचखुट्टी के मजदूर रंजीत साह अपने एकलौते पुत्र के ठीक होने की आस में अपनी सारी जमीन – जायदाद बेचकर लगभग 15 लाख रुपए खर्च चुके हैं. उधर बलतारा के रंधीर कुमार भी 17 लाख रुपये अपने बच्चे के लिए खर्च कर चुके हैं. जिससे इन बच्चों के परिजनों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है. भरतखण्ड निवासी बाल कृष्ण चौधरी व पप्पी देवी के दोनों पुत्र 17 वर्षीय आदर्श कुमार एवं 15 वर्षीय सावन कुमार डीएमडी बीमारी से पीड़ित हैं. इनके परिजन भी सारी जमीन – जायदाद बेचकर इलाज में बीस लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. बावजूद इसके इनके एक पुत्र बिस्तर पर जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो दूसरा व्हीलचेयर पर है. उधर परिजनों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है.

जानिए क्या है डीएमडी बीमारी के लक्षण

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परबत्ता में कार्यरत डॉ कुमार आशुतोष ने बताया है कि डीएमडी बीमारी की शुरुआती दौर में पांव की मांसपेशियों के कमजोर होने से होती है. जिससे बच्चे को चलने में दिक्कत होने लगती है. लेकिन जल्द ही ये रोग हृदय और फेफड़ों सहित शरीर की हर मांसपेशी को अपनी चपेट में ले लेता है. बच्चों में इस बीमारी की पहचान अमूमन उसके एक से दो साल की उम्र के अंदर ही हो जाता है. इस बीमारी में बच्चे की मांसपेशियां सूखने लगती है. बच्चे के चलने-फिरने में परेशानी होती है और यदि वह चलता भी है तो लंगड़ाकर चलता है. अगर ये बीमारी बच्चों में दस साल की उम्र से ज्यादा रह गयी तो उसके ह्रदय की मांसपेशियां तक सूखने लगती है. जिससे कि वह कॉर्डियोमायोपैथी का शिकार हो जाता है. 6 से 8 वर्ष की आयु में बच्चा व्हीलचेयर पर पहुंच जाता है और इसके बाद 12 साल के उम्र में बच्चा बिस्तर पकड़ लेता है.

खगड़िया सांसद ने संसद में उठाया मामला

विगत दिनों खगड़िया के सांसद राजेश वर्मा ने सदन में डीएमडी पीड़ित बच्चे का मामला उठाया. सांसद राजेश वर्मा में सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि यह बीमारी बहुत ही गंभीर बीमारी है. इस बीमारी से पूरे देश मे 4 हजार से ज्यादा बच्चे ग्रसित है. जबकि बिहार में लगभग 250 बच्चे इस बीमारी से जूझ  रहे हैं. भागलपुर में लगभग 16 बच्चे तथा खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में लगभग 3 ऐसे बच्चे है, जो इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे है. इसके इंजेक्शन के लगभग 17.5 करोड़ की लागत आती है और इतना मंहगा इंजेक्शन पीड़ित परिवार के लिए असंभव है. ऐसे में सांसद ने इस बीमारी के इलाज के लिए सरकार से सार्थक पहल करने की अपील की.

6 लाख आर्थिक सहायता

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी महंगी और पेंचीदा बीमारी की जद में जो बच्चा आया है, उसके परिजनों की आर्थिक हालत बच्चे का इलाज कराते-कराते खस्ता हो जा रही है. ऐसे में इस बीमारी के महंगे इलाज को लेकर और मरीजों को आर्थिक राहत देने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बेहतरीन कदम उठाया है. जिसके तहत मस्कुलर डिस्ट्राफी के मरीजों को राज्य सरकार एकमुश्त छह लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है. हालांकि इसको हासिल करने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट व कुछ कागजी औपचारिकता को बीमार बच्चे के परिजनों को पूरी करनी पड़ेगी‌.

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