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आंकड़ों में पिछड़ते दिख रहे NDA प्रत्याशी राजेश वर्मा, बहुत कठिन है डगर पनघट की

लाइव खगड़िया (मनीष कुमार मनीष) : वैसे तो खगड़िया संसदीय सीट से विगत दो चुनावों में एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी चौधरी महबूब अली केसर को जीत मिली थी. लेकिन इस बार लोजपा का उम्मीदवार अलग है और परिस्थितियां भी विपरीत ही नजर आ रहा है. ऐसे में एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा का चुनावी सफर आसान नहीं रहने वाला है.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो लोकसभा के विगत दो चुनावों में लोजपा प्रत्याशी चौधरी महबूब अली केसर की जीत को महज मोदी लहर में मिली जीत के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. उनकी जीत में महागठबंधन के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी भी एक बड़ा फेक्टर रहा था. जिसके दम पर दोनों चुनावों में महबूब अली केसर जीत का परचम लहरा गए थे. लेकिन इस बार के चुनाव में परिस्थितियां अलग है और लोजपा (रा) ने लोकसभा क्षेत्र से आने वाले स्थानीय चौधरी महबूब अली केसर को तरजीह नहीं देकर भागलपुर के राजेश वर्मा पर दांव खेला है. निश्चय ही उनके लिए ना सिर्फ राजनीतिक पर बल्कि भौगोलिक तौर से भी इतने कम समय में क्षेत्र को परख पाना आसान नहीं रहने वाला है. उल्लेखनीय है कि लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा की अबतक की राजनीतिक कर्मभूमि भागलपुर ही रहा था. लेकिन अब उस जगह पर वो अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं, जिस जगह को कभी भौगोलिक स्थिति की वजह से पैमाइश नहीं होने पर फरकिया कहा जाने लगा था.

दूसरी तरफ लगातार दो जीत दर्ज कर एनडीए की झोली में खगड़िया सीट रखने वाले चौधरी महबूब अली केसर ने राजद का दामन थाम लिया है. गौरतलब है कि उनके पुत्र ही खगड़िया संसदीय सीट के तहत आने वाले सिमरी बख्तियारपुर से राजद विधायक है और कहा जाता है कि इस क्षेत्र में इस परिवार का अपना एक अलग प्रभाव है. ऐसे में निश्चय ही कम से कम सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा की राह में चौधरी महबूब अली केसर रोड़े बिछा दें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए. उधर परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के पसराहा में आयोजित भाजपा के दोनों उप मुख्यमंत्री की चुनावी सभा में परबत्ता के जदयू विधायक डाक्टर संजीव कुमार की गैरमौजूदगी भी बहुत कुछ बयां कर रहा है. उल्लेखनीय है कि जदयू विधायक डाक्टर संजीव कुमार एवं उनके पिता पूर्व मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह का यह क्षेत्र गढ़ रहा है.

इधर खगड़िया संसदीय क्षेत्र के अलौली व हसनपुर विधानसभा क्षेत्र पर राजद का कब्जा है. जबकि खगड़िया विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस के विधायक हैं. साथ ही खगड़िया के पूर्व जदयू विधायक पूनम देवी यादव की भी एनडीए के चुनावी अभियान में वो सक्रियता नहीं दिख रही, जैसा की अमूमन देखा जाता रहा था. ऐसे में निश्चय ही इन तीनों क्षेत्रों में भी लोजपा (रा) प्रत्याशी राजेश वर्मा की राह आसान नहीं रहने वाली है. उधर बेलदौर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के पन्नालाल पटेल का कब्जा है और उनका खगड़िया के तत्कालीन सांसद चौधरी महबूब अली केसर से रिश्ता सार्वजनिक है. उधर लोजपा (रा) से टिकट की रेस में शामिल खगड़िया के पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा भी पार्टी से अपना दामन छुड़ा चुकी है. बताया जाता है कि क्षेत्र में अपने समाज पर भी उनका एक अलग प्रभाव है और इसका खमियाजा भी लोजपा (रा) प्रत्याशी को भुगतना पड़ सकता है. बहरहाल चुनाव में आंकड़ों का गणित भी अहम है और इसमें एनडीए समर्थित लोजपा (रा) प्रत्याशी पिछड़ते हुए नजर आ रहे है. लेकिन इस बात पर से पर्दा चुनाव परिणाम के बाद ही उठेगा.

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