रूपये खर्च व राशन भी खत्म, पटना में फंसे मजदूरों को किसी मसीहे का इंतजार
लाइव खगड़िया : कोरोना वायरस के मद्देनजर हुए लॉक डाउन की वजह से बेरोजगार हुए दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है और यदि ऐसे लोग अपनी घर से मीलों दूर फंसे हो तो उनकी बेबसी व लाचारी का भी अनुमान लगाया जा सकता है. निश्चय ही ऐसे लोगों तक सरकार, स्थानीय प्रशासन सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा राहत पहुंचाने की कवायद की जा रही है. बावजूद इसके कई ऐसे परिवार भी हैं जिन तक अबतक राहत नहीं पहुंच पाई है और उनके सामने भूखे रहने की स्थिति बनती जा रही है.
लॉक डाउन के बीच जिले के परबत्ता प्रखंड के लगार के करीब आधा दर्जन लोग पटना में फंसे हुए हैं. बताया जाता है कि उनकी जमा पूंजी खत्म हो चुकी है और राशन भी खत्म होने के कगार पर है. जिसके बाद की स्थिति का आंकलन करते हुए धर्मवीर कुमार की आंखे भर आती है. मोबाइल नंबर 9354075683 से हालात की जानकारी देते हुए धर्मवीर बताते हैं कि मदद को लेकर हेल्प लाइन नंबर पर भी संपर्क साधा गया और वहां से उन्हें सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन ही मिलता रहा, लेकिन राहत नहीं मिली. साथ ही वे किसी और माध्यम से कोई राहत मिलने की बातों से भी इंकार करते हैं.
दरअसल जिले के परबत्ता प्रखंड के लगार गांव के धर्मवीर कुमार, उनका भतीजा विकास कुमार, चचेरा भाई रवि कुमार पटना के महेन्द्रू के आजाद लेन चौधरी टोला में फंसे हुए हैं. बताया जाता है कि सभी वहां रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन कर रहे थे. इसी बीच लॉक डाउन की वजह से वे बेरोजगार हो गये और अब तो उनके सामने रोटी की समस्या आन पड़ी है. बताया जाता है कि पटना के उसी मुहल्ले नें लगार गांव के विकास कुमार, बालेश्वर यादव, राजेश कुमार, रीता देवी, मधु देवी भी फंसे हुए हैं और इन सभी की स्थिति भी लगभग समान ही है. बहरहाल संकट की इस घड़़ी नें पटना में फंसे इन मजदूरों को किसी मसीहे का इंतजार है.