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बाजार से गायब हुआ सैनिटाइजर व मास्क तो स्थानीय स्तर पर होने लगा तैयार




लाइव खगड़िया : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच लोग इस वायरस के संक्रमण से बचने को लेकर हर तरह से एतियात बरत रहे हैं. Covid-19 नाम के इस वायरस से बचने के लिए डॉक्टर लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जानें की हिदायत, घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनने और हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करने की सलाह दे रहे हैं. कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार के द्वारा पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया गया है. लोगों में इस बीमारी का खौफ इतना बढ़ गया है कि बाजारों से हैंड सैनिटाइजर और मास्क तक गायब हो चुके हैं और लोगों को मास्क व हैंड सैनिटाइजर दर-दर भटकने के बाद भी नहीं मिल रहा है. कहते हैं ना कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है. कोरोना के खिलाफ इस जंग में हर कोई अपने-अपने स्तर से सहयोग कर रहा हैं और जब जिले के बाजारों में सैनिटाजर उपलब्ध नहीं था तो स्थानीय एक युवा चंद्रभूषण साह उर्फ कारे लाल  ने डॉक्टरों से राय लेकर सोशल साइट यूट्यूब की मदद से स्थानीय स्तर पर सैनिटाइजर ही तैयार कर दिया.

दूसरी तरफ बाजारों में मास्क की किल्लत देखते हुए स्थानीय शहीद प्रभु नारायण अस्पताल के निदेशक डॉक्टर विवेकानंद के निर्देश पर अस्पताल में मास्क तैयार किया जा रहा है. बताया जाता है कि यहां प्रतिदिन एक हजार से अधिक मास्क तैयार किया जा रहा है. स्थानीय स्तर पर तैयार मास्क व सैनिटाइजर कोरोना के खौफ के बीच कार्य रहे पुलिस, बैंक,अस्पताल सहित मानव सेवा में लगे लोगों के बीच वितरित किया जा रहा है. इस कार्य में सामाजिक कार्यकर्ता ई. धर्मेन्द्र व डॉक्टर विवेकानंद लगातार लगे हुए हैं.




बताया जाता है कि स्थानीय स्तर पर सैनिटाइजर तैयार कर रहे कारे लाल एक सामाजिक सोच वाले व्यक्ति हैं. आपदा के वक्त वे ई. धर्मेन्द्र व डॉक्टर विवेकानंद की टीम के साथ मिलकर समाज सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. वो बताते हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण व बाजार में सैनिटाइजर की कमी को देखते हुए डॉक्टरों से राय लेकर एस्प्रीट, एलोवेरा जेल, सोडियम हाइड्रोक्साइड एवं पानी मिलाकर स्थानीय स्तर पर ही सैनिटाइजर तैयार किया गया है. जिसे सामाजिक व्यक्तियों को भी सस्ते दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है.




चंद्रभूषण साह उर्फ कारे लाल के द्वारा दो साल पूर्व 10 हजार की पूंजी से आदि इंटरप्राइजेज की शुरुआत की गई थी. वे सहकार भारती संस्था द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत फिनायल, एसिड, टॉयलेट क्लीनर आदि जैसे चीजों का छोटे स्तर पर उत्पादन शुरू किया. साथ ही खाद्य सामग्री के क्षेत्र में लोगों को अच्छी क्वालिटी का शुद्ध सामान मिल सके इसके लिए उन्होंने गेहूं खरीद कर आटा का निर्माण शुरू किया. आज भी उनका व्यवसाय छोटे स्तर पर ही चल रहा है. लेकिन कंपनी की कैपिटल दो साल के दौरान बढ कर लगभग चार पांच लाख हो गई है. कारेलाल जिले के युवाओं को सहकार भारती से जोड़कर उन्हें एक दिशा देने का भी प्रयास कर रहे है. उसकी कंपनी का लोगो ‘गांव से’ है और यहां काम करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाएं हैं.




कारेलाल को इस मुकाम तक पहुंचाने में सामाजिक कार्यकर्ता ई.धर्मेन्द्र का भी एक बड़ा हाथ रहा है. जिन्होंने उन्हें मोटिवेट किया. बताया जाता है कि ई. धर्मेन्द्र ने स्थानीय स्तर पर लोगों को पेड़ा उद्योग के लिए भी मोटिवेट किया था और आज इसका टर्नओवर लगभग 50 करोड सालाना का है. ई. धर्मेन्द्र बताते हैं कि गांव के उत्पादन को एक बाजार मुहैया कराना एवं गांव में उत्पादन का सृजन कर रोजगार उपलब्ध करना ही उनका उद्देश्य था और आज उनकी सोच को एक नया मुकाम मिलता हुआ दिखने लगा है.


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