इस वर्ष दो दिन मनाई जायेगी जन्माष्टमी, जानिए किस दिन रखना है व्रत
लाइव खगड़िया (मुकेश कुमार मिश्र) : जिले के विभिन्न क्षेत्रों में भाद्र कृष्णपक्ष कृष्णाष्टमी की तैयारियां अंतिम चरण पर हैं. इस व्रत को मोह रात्रि अष्टमी व्रत भी कहा जाता है. संसारपुर गांव निवासी पंडित अजय कांत ठाकुर की मानें तो इस वर्ष विश्वविद्यालय मिथिला पंचांग के अनुसार 22 अगस्त को अष्टमी तिथि रात्रि के 3 बजकर 22 मिनट में प्रवेश करेगा तथा 23 अगस्त को रात्रि 3 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त को रात्रि 12 बजकर 19 मिनट में प्रवेश करेगा, जो कि 24 अगस्त की रात्रि 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा. पंडितों के अनुसार इस वर्ष जन्माष्टमी 23 व 24 अगस्त को मनायी जायेगी. इस क्रम में उदया तिथि को मानने वाले 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाने का तर्क दे रहे हैं. जबकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में होने के आधार पर गृहस्थ 23 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनायेंगे. वैष्णव लोगों के द्वारा 24 अगस्त को जन्मोत्सव मनाने की बातें कही जा रही है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर विभिन्न मंदिरों को सजाया जा रहा है. कुछ मंदिरों में रात के बारह बजे गर्भ से जन्म लेने के प्रतीक स्वरूप खीरा चीर कर बालगोपाल की लीला, भजन , गोविन्द उत्सव मनाया जाता है. उपवास करने वाले भक्तों को कृष्णाष्टमी की रात्रि में “ऊँ नमोभगवतेवासुदेवाय” का जाप आवश्य करना चाहिए.
विष्णु धर्म के अनुसार रोहिणी में कृष्णाष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है. अष्टमी व्रत फलदायी होता है. इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं करनी चाहिए. फल ग्रहण किया जा सकता है. कृष्णाष्टमी की रात्रि “श्यामा तेरी आरती, कन्हैया तेरी आरती, सारा संसार करेगा साथ जोड़ के…” जैसे भक्ति भजनों से वातावरण गुंजायमान हो जाता है. आमतौर पर कृष्णाष्टमी का व्रत घर-घर में महिला व पुरुषों के द्वारा किया जाता है.
भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था. बताया जाता है कि श्री कृष्ण भगवान् ने धरती पर फैले अत्याचार व बुराइयों को मिटाने, दानवों व राक्षसों का वध करने और मानव जाति की रक्षा करने सहित लोक कल्याण का कार्य करने के लिए धरती पर अवतार लिया था. उनके संदर्भ में सुदामा जैसे गरीब को अपना दोस्त बनाना और उन्हें अपनी शरण में लेना, मामा कंस जैसे बलशाली राक्षस का वध, महाभारत में द्रोपदी की लाज बचाने जैसे कई प्रसंग सुने-सुनाए जाते हैं. कृष्ण भगवान को कन्हैया , नंदलाला, गायों का ग्वाला, मुरलीवाला, बंशिवाले, मोहन मुरलीवाले,यशोदा का नन्दलाल , गोपियों का ग्वाला आदि जैसे विविध नामों से प्यार से पुकारा जाता है. भगवान श्री कृष्ण बहुत ही नटखट थे और उन्हें मानव जाति के लिए किया गया त्याग और उपकार के लिए लोग याद करते हैं. हर वर्ष श्री कृष्ण का अवतरण दिवस भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है.